Thursday, December 5, 2024
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Homeप्रदेशहिमाचल प्रदेशHigh Court का आदेश, बंद होंगी घाटे में चल रही 18 होटलें

High Court का आदेश, बंद होंगी घाटे में चल रही 18 होटलें

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उपक्रम हिमाचल पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के घाटे में चल रहे 18 होटलों को 25 नवंबर 2024 से बंद करने का सख्त आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एचपीटीडीसी को बार-बार चेतावनी देने के बावजूद पेंशनरों को ग्रेच्युटी, लीव इनकैशमेंट और अन्य वित्तीय लाभ नहीं दिए गए हैं। इस पर कोर्ट ने 40 फीसदी से कम ऑक्यूपेंसी वाले होटलों को बंद करने का फैसला लिया है।

राज्य के वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग

जस्टिस अजय मोहन गोयल ने यह आदेश सुनाते हुए कहा कि एचपीटीडीसी को इन होटलों को बंद कर देना चाहिए, क्योंकि इनका संचालन घाटे में चल रहा है और इससे राज्य के वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है। इन आदेशों के अनुपालन की जिम्मेदारी पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक की होगी। उन्हें इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कर तीन दिसंबर तक कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि इन होटलों को चलाने के लिए जरूरी न्यूनतम स्टाफ को ही वहां रखा जाए। बाकी कर्मचारियों को दूसरे होटलों में ट्रांसफर किया जाए, ताकि स्टाफ की कमी की भरपाई की जा सके।

इन होलटों में लगेंगे ताले

हाईकोर्ट ने जिन 18 होटलों को बंद करने का आदेश दिया है, उनमें पैलेस होटल चायल, होटल गीतांजलि डलहौजी, होटल बाघल दाड़लाघाट, होटल धौलाधार धर्मशाला, होटल कुणाल धर्मशाला, होटल कश्मीर हाउस धर्मशाला, होटल एप्पल ब्लॉसम फागू, होटल चंद्रभागा केलंग, होटल देवदार खजियार, होटल गिरिगंगा खड़ापत्थर, होटल मेघदूत क्यारीघाट, होटल शबरी कुल्लू, होटल लॉग हट्स मनाली, होटल हडिम्बा कॉटेज मनाली, होटल कुंजुम मनाली, होटल भागसू मैक्लोडगंज, होटल द कैसल नगर और होटल शिवालिक परवाणू शामिल हैं।

यह भी पढ़ेंः-UP By-Election: यूपी की 9 सीटों पर मतदान जारी, गड़बड़ करने वालों को अखिलेश ने दी चेतावनी

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया है कि एचपीटीडीसी द्वारा अपने होटलों की बताई गई दक्षता और उपयोगिता निराशाजनक है। कोर्ट ने कहा कि एचपीटीडीसी अपनी संपत्तियों का सही उपयोग कर लाभ कमाने में असमर्थ रहा है। यदि इन संपत्तियों का संचालन जारी रहा तो इससे राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जबकि राज्य सरकार पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रही है, जैसा कि अदालत में आए अन्य मामलों में देखा गया है।

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