Wednesday, November 20, 2024
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यह आदतें बन सकती है जीवन में दुख और कष्ट का कारण, इन्हें त्याग देने में ही है समझदारी

नई दिल्लीः आचार्य चाणक्य एक कुशल रणनीतिकार, कूटनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। उन्हें कई विषयों का गहरा ज्ञान था। मानव हित में आचार्य चाणक्य ने कई शास्त्रों की रचना की। उसमें से नीति शास्त्र सबसे लोकप्रिय है। इसमें चाणक्य ने मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। नीति शास्त्र में बताई गई बातें मनुष्य के जीवन को बहुत करीब से स्पर्श करती हैं। चाणक्य की नीतियां जीवन की सत्यता से अवगत करवाती हैं। चाणक्य ने नीतिशास्त्र में सफलता को लेकर भी कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को अपनी आदतों को लेकर सदैव गंभीर और सतर्क रहना चाहिए। क्योंकि अच्छी और बुरी आदतों के कारण ही जीवन में दुख और कष्ट की स्थिति बनती है। चाणक्य के अनुसार श्रेष्ठ गुणों को अपनाने से इन परिस्थितियों से बचा जा सकता है। आप भी अनावश्यक दुख और कष्ट से बचना चाहते हैं तो चाणक्य नीति की इन बातों को जरूर जान लें।

निंदा न करें- चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को कभी भी दूसरों की निंदा नहीं करनी चाहिए। जीवन में जब निंदा करने की प्रवृत्ति बढ़ने लगती है तो दुख और कष्ट की स्थितियां बनने लगती हैं। दूसरों की बुराई करते-करते वे बुराइयां स्वयं में कब प्रवेश कर जाती हैं, इसका पता ही नहीं चलता है। निंदा करने में आनंद आने लगे तो इसे गंभीर खतरा मानना चाहिए। विद्वानों ने निंदा को निंदा रस भी कहा है। ये बड़ी क्षति का कारण बनता है। इसलिए इससे दूर ही रहें।

लोभ से बचें- आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को अपने परिश्रम पर भरोसा रखना चाहिए। अपने परिश्रम से अर्जित धन ही व्यक्ति के पास रूकता है, शेष जैसे आता है वैसे ही चला जाता है। इसलिए धन के मामले में किसी भी प्रकार का लोभ नहीं करना चाहिए। लक्ष्मी जी उसी को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं जो सही मार्ग पर चलते हुए परिश्रम से धन प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति को मान सम्मान, वैभव भी प्राप्त होता है।

अहंकार न करें- चाणक्य का मानना है कि अहंकार एक रोग है, जिस व्यक्ति को ये रोग लग जाता है, उसे बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता। अहंकार से दूर रहना चाहिए। अहंकार व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु भी है। इससे दूर रहने के लिए विनम्रता और प्रेम को अपनाना चाहिए।

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आलस से दूर रहें- चाणक्य नीति कहती है आलस भी दुख और कष्ट का सबसे बड़ा कारण है। जो व्यक्ति आलस के कारण आज के कार्य को कल पर टालता है और आगे चलकर दुख और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आलसी व्यक्ति कभी अवसरों से लाभ प्राप्त नहीं कर पाता है। इसलिए इसका त्याग करें और अनुशान का पालन करें।

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