लखनऊः एलोवेरा को आयुर्वेद की भाषा में ग्वारपाठा, घीकवार और घृतकुमारी के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में महत्वपूर्ण औषधि के रूप में इस्तेमाल होने वाले एलोवेरा से दो सौ से अधिक रोगों का निदान सम्भव है। विटामिन ए, सी और ई काफी मात्रा में पाये जाने के कारण यह सभी हेल्दी सेल ग्रोथ को प्रमोट करता है और बालों को चमकदार बनाता है। यह पेट की बीमारियों के दूर करने के साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
एलोवेरा में विटामिन ए, सी, ई, फॉलिक एसिड, कोलीन, बी1, बी2, बी3 और बी6 पाया जाता है। करीब 20 प्रकार के मिनरल्स जिनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, क्रोमियम, सेलेनियम, सोडियम, आयरन, पोटैशियम, कॉपर और मैंगनीज शामिल हैं। बॉडी को तकरीबन 22 एमिनो एसिड्स की जरूरत होती है जिनमें 8 बहुत ही जरूरी होते हैं। अकेले 18-20 एमिनो एसिड्स और 8 जरूरी एसिड्स एलोवेरा में पाए जाते हैं। एलोवेरा स्किन के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके साथ ही यह शरीर की सूजन कम करने के साथ ही मोटापा कम करने में बेहद फायदेमंद है। इससे वात और कफ दोष के कारण होने वाले सिरदर्द में भी आराम मिलता है। आंखों में लालिमा या जलन होने पर इसके जेल को लगाने से आराम मिलता है। यह विषाणु से होने वाले आंखों के सूजन (वायरल कंजक्टीवाइटिस) में भी लाभदायक होता है। कान दर्द में भी एलोवेरा से लाभ मिलता है। कान दर्द में एलोवेरा के रस को हल्का गर्म करके उसके विपरीत कान में दो-दो बूंद टपकाकर डालने से लाभ होता है।
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एलोवेरा अपच जैसी बीमारी को दूर करने में भी सहायक है। इसके साथ ही एलोवेरा बवासीर और निमोनिया में भी आराम पहुंचाता है। दो भाग एलोवेरा के पत्तों का रस और एक भाग शहद लेकर उसे चीनी मिट्टी के बर्तन में एक सप्ताह रखने के बाद सेवन करने पर लीवर से सम्बन्धित बीमारियों में लाभ होता है। इसके अलावा यह मधुमेह रोग में भी काफी फायदेमंद है। मासिक धर्म में होने वाली अनियमितता को दूर करने में भी एलोवेरा काफी लाभदायक साबित होता है।