Wednesday, December 18, 2024
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महाकाल से मां काली के द्वार तक ममता, शहीद की बेटी समेत चार लोग बने प्रस्तावक

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी से मिल रही कड़ी चुनौती के बीच नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही ममता बनर्जी ने नामांकन भरने से पहले और बाद में लगातार मंदिरों में पूजा-अर्चना की। बुधवार को नंदीग्राम से पर्चा भरने से पहले ममता ने शिव मंदिर में पूजा की। बाद में हेलीकॉप्टर के जरिए मुख्यमंत्री हल्दिया पहुंचीं। वहां प्रशासनिक भवन में नामांकन के बाद ममता ने बताया कि वह क्षेत्र के लोगों के अनुरोध पर आज रात नंदीग्राम में ही रुकेंगी और गुरुवार को कोलकाता जाएंगी। ममता ने दावा किया कि नंदीग्राम सीट पर उनकी जीत तय है और पूर्व मेदिनीपुर की सभी सीटें भी जीतने के लिए वे मां काली से प्रार्थना करेंगी।

ममता बनर्जी चुनाव प्रक्रिया के दौरान दूसरी बार काली मंदिर पहुंचीं। मुख्यमंत्री के बर्ताव में अचानक आए इस बदलाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी लगातार हमलावर है। आम तौर पर मुस्लिम तुष्टिकरण और जय श्रीराम के नारे पर आग बबूला होने वाली ममता बनर्जी के लगातार एक के बाद एक, मंदिरों में जाने और पूजा पाठ करने पर कांग्रेस ने भी सवाल खड़ा किया है। एक दिन पहले जब ममता बनर्जी नंदीग्राम पहुंची थीं, तब उन्होंने चंडी पाठ किया था। हालांकि उनके कथित तौर पर गलत पाठ की खबरें खूब चलीं।

ममता बनर्जी के मुकाबले भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी खुद को हिंदू साबित करने की कोशिश कर रही हैं लेकिन ऐसा हो नहीं सकेगा। उन्होंने कहा कि ममता मिलावटी हिंदू हैं।

शहीद की बेटी समेत चार लोग बने ममता के प्रस्तावक

हल्दिया प्रशासनिक भवन में पर्चा दाखिल करने के बाद मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात की। उन्होंने बताया कि 2007 के ऐतिहासिक नंदीग्राम आंदोलन में मारे गए शहीद की बेटी समेत चार लोगों को उन्होंने अपना प्रस्तावक बनाया।इसके अलावा शेख सुफियान को ममता ने अपना इलेक्शन एजेंट बनाया है। सुफियान का भी नंदीग्राम आंदोलन से नाता रहा है।

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राजनीतिक पंडितों का मानना है कि नंदीग्राम के चुनावी रण में ममता बनर्जी खुद को ऐतिहासिक भूमि आंदोलन से जोड़कर दिखाना चाहती हैं। दूसरी ओर हिंदू मंदिरों में पूजा-पाठ कर वह यहां के हिंदू मतदाताओं को अपने पाले में करना चाहती हैं जबकि क्षेत्र मुस्लिम बहुल है और माना जा रहा है कि इलाके के अल्पसंख्यक मतदाता पहले से ही ममता के पक्ष में हैं। कुल मिलाकर कहें तो तंत्र- मंत्र और हर जरिए से ममता बनर्जी चुनाव जीतने के लिए कोई भी कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहती हैं।

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