नई दिल्लीः भारतीय नौसेना अपनी तटीय सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा के लिए मंगलवार से दो दिवसीय द्विवार्षिक अखिल भारतीय तटीय रक्षा अभ्यास ‘सी विजिल-21’ आयोजित करेगी। यह अभ्यास पहली बार जनवरी 2019 में आयोजित किया गया था। भारतीय नौसेना मंगलवार से दो दिवसीय बड़ा रक्षा अभ्यास शुरू करेगी, जिसमें देश के 7516 किलोमीटर के तटीय क्षेत्र और विशेष आर्थिक क्षेत्र को शामिल किया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, यह भारत का सबसे बड़ा तटीय रक्षा अभ्यास होगा। इसमें सभी 13 तटीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ अन्य समुद्री हितधारक शामिल होंगे। अभ्यास का समन्वय भारतीय नौसेना द्वारा किया जाएगा। पूरे क्षेत्र के लिए मुंबई में 26 नवंबर में हुए आतंकी हमले के बाद समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा बढ़ाई गई है। गौरतलब है आतंकी हमला समुद्री रास्ते से ही हुआ था।
नौसेना ने कहा कि बड़े भौगोलिक क्षेत्र, संबंधित लोगों की ज्यादा संख्या, अभ्यास में शामिल होने वाले भागीदारी की संख्या को देखते हुए इस अभ्यास का दायरा काफी बड़ा है। यह अभ्यास भारतीय नौसेना के थिएटर लेवल अभ्यास ट्रोपेक्स (थिएटर लेवल रेडिनेस ऑपरेशनल एक्सराइज) की दिशा में उठाया गया कदम है, जो कि हर दो साल में आयोजित किया जाता है।
सी विजिल और ट्रोपेक्स अभ्यास मिलकर समुद्री इलाकों की चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम है, जो कि शांति से संघर्ष के बदलाव की परिस्थितियों में काम आएंगे। भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड, कस्टम और अन्य समुद्री एजेंसियां सी-विजिल में भाग लेंगे। इस अभ्यास के मौके पर रक्षा, गृह, जहाजरानी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, मत्स्य, कस्टम, राज्य सरकारें, केंद्र और राज्य सरकारों की अन्य एजेंसियां भी शामिल होंगी।
इसके अलावा छोटे पैमाने पर समुद्री इलाकों के राज्यों में नौसैनिक अभ्यास किए जाते हैं, जिसमें एक से ज्यादा राज्य मिलकर भी अभ्यास करते हैं। जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर देश की सुरक्षा के उद्देश्य को पूरा करना है। यह अभ्यास उच्च स्तर पर समुद्री क्षेत्र में भारत की सुरक्षा तैयारियों का भी आकलन करने में मदद करता है।
सी विजिल-21 समुद्री इलाकों में सुरक्षा की स्थिति का वास्तविक आकलन करने के साथ ही उसमें सुधार की संभावनाओं का अवसर भी प्रदान करता है, जिससे हमारी समुद्री सुरक्षा और मजबूत हो सके। नौसेना ने कहा, “यह ड्रिल हमारी ताकत और कमजोरियों का एक यथार्थवादी आकलन प्रदान करेगी। इस प्रकार यह समुद्री और राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत बनाने में मदद करेगी।”