लखनऊ में हर रोज निकलता है 2,000 मीट्रिक टन कूड़ा

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Lucknow Municipal Corporation: शहर में तमाम जगहों पर कूड़े के ढेर देखे जा रहे हैं। शिवरी प्लांट में भी इस कूड़े को नष्ट करने के लिए अपेक्षाकृत ज्यादा समय भूमि ग्रीम कंपनी काम कर रही है। निगम को जितना बजट शासन से मिला, वह भी कम पड़ रहा है। तमाम प्रयासों के बाद भी शहर स्वच्छता अभियान में फिसड्डी है। यह चिंता का विषय है। इसकी सजा भी नगर आयुक्त को बीते साल मिल चुकी है। नगर आयुक्त ने बताया कि उनका दो बार वेतन रोका जा चुका है। वह चाहते हैं कि शहर को साफ-सुथरा बनाने में पूरी जिम्मेदारी निभाएं। इसके लिए पूरी ताकत लगा देंगे। इससे इतर नगर निगम के पार्षदों ने शिवरी में बन रहे प्लांट से प्रदूषण फैलने की चिंता जताई है।

शहर के सफाई अभियान में अब डो-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन शुरू है। तीन महीने का काम कंपनी दिखाएगी। इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया को बढ़ाया जाएगा। इस बीच लोगों के घरों से निकलने वाला कूड़ा सबसे बड़ी परेशानी बना हुआ है। खुद अपर नगर आयुक्त अरविंद राव शिवरी प्लांट की निगरानी कर रहे हैं। प्लांट पर अभी भी कूड़े का पहाड़ है। इसी के कारण बीते साल एनजीटी ने करीब 40 करोड़ रूपए का जुर्माना भी लगाया था। शहर में प्रदूषण का खतरा भी मंडराने लगा तो पिछले साल मार्च में नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह को भी कोर्ट में हाजिरी लगानी पड़ी।

नगर आयुक्त ने खुद इसे एक पीड़ा बताया और कहा कि उनका दो बार वेतन रोका गया, लेकिन इसे कभी व्यक्त नहीं किया। शासन से शिवरी में प्लांट लगाने के लिए जो रकम मिल रही थी, वह काफी नहीं थी इसलिए तमाम प्रयासों से 97 करोड़ रूपए मिलने के बाद यहां की कूड़ा निस्तारण की प्रक्रिया तेज की गई। अब यहां मशीन चल रही है, लेकिन रकम कम पड़ रही है। कारण है कि जिस रफ्तार से मशीन काम कर रही है, वह क्षमता कम है। भविष्य में और मशीन लगाने की जरूरत पड़ सकती है। इसका कारण है कि लखनऊ का विस्तार हो रहा है और मशीन की मांग पुरानी है। कूड़ा भी ज्यादा है। पहले का ही काफी कूड़ा है, साथ में नया भी रोज आ रहा है। शहर में रोज बड़े पैमाने पर कूड़ा जमा होता है।

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इसके लिए कई सौ वाहन जुटाए गए हैं। एलएसए की अपनी गाड़ियां सौ से ज्यादा हैं। अपर नगर आयुक्त अरविंद राव कहते हैं कि शिवरी पहुंचाए जाने वाले कूड़े की मात्रा 2,000 मीट्रिक टन है। पुराना कूड़ा हजारों मीट्रिक टन है। इसी पर एनजीटी ने नगर निगम पर कार्रवाई भी की थी। यदि इसमें नया कूड़ा डाला जाता है तो समस्या बढ़ सकती है इसलिए नए कूड़ा निस्ताण के लिए एक मशीन और लगा दी गई है। अब कुल तीन मशीनें हो चुकी हैं। यहां जमा कूड़ा करीब डेढ़ साल में नष्ट हो पाएगा। जब यहां मशीनें चलाई गई थीं, तब यह बीस लाख मीट्रिक टन था जबकि रोज का आने वाला अलग है।

आसपास का इलाका हो रहा प्रदूषित

शिवरी का प्लांट जहां पर है, वहां कई तरह का प्रदूषण बढ़ने के कारण ही अब नए तरीके से काम हो रहा है। स्थानीय किसानों ने भी प्रधानों और पार्षदों के जरिए शासन तक इसकी शिकायत की थी। प्रदूषण का मामला विधायकों ने भी उठाया था। क्षेत्र में खेती योग्य भूमि पर इसका प्रभाव पड़ रहा है। पार्षदों ने इस क्षेत्र में पानी की गुणवत्ता की जांच कराने की मांग की है। भाजपा पार्षद राजेंद्र सिंह ने नगर आयुक्त से इस क्षेत्र के वायु और जल गुणवत्ता सर्वे कराने की मांग की है।

इसके अलावा नगर निगम क्षेत्र का विस्तार होते ही भू-माफिया भी पैर पसारने लगे हैं। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह क्षेत्र डेवलप हो रहा है, लेकिन खतरे से खाली नहीं है। यहां अवैध प्लाटिंग हो रही है और निगम के कानून के विपरीत है इसलिए यह मत समझें कि प्लाटिंग होना वैध है। आज नहीं तो कल गलत तरीके से हुए कार्यां पर कार्रवाई होगी।

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