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Year Ender 2024: इन घटनाओं ने पूरे उत्तर प्रदेश को झकझोरा

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Year Ender 2024: देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश यूं तो पिछले कई सालों से मजबूत कानून व्यवस्था के लिए मशहूर है लेकिन साल 2024 में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हुई घटनाओं ने हर किसी को झकझोर दिया। कई घटनाओं ने पूरे प्रदेश में सुर्खियां बटोरी, तो यहां सियासी दलों ने अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए इसे पर्यटक स्थल भी बना दिया। आइए नजर डालते हैं उन घटनाओं पर, जो हर किसी की जुबान पर चर्चा का विषय बनी रहीं।

Year Ender 2024: हाथरस भगदड़ हादसे ने हर किसी को डराया

हाथरस जिले के थाना सिकंदराराऊ क्षेत्र के गांव रतीभानपुर में 02 जुलाई को आयोजित भोले बाबा के सत्संग में अचानक भगदड़ मच गई थी, जिसमें 121 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। मरने वालों में पुरूष-महिलाओं से लेकर बच्चे तक शामिल थे। घटना के बाद चारों तरफ बिखरी लाशों व घायल लोगों की चीत्कार ने हर किसी को अंदर तक झकझोंर दिया था। मामले में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 105, 110, 126(2), 223 और 238 के तहत ’मुख्य सेवादार’ कहे जाने वाले वेद प्रकाश मधुकर और इस धार्मिक कार्यक्रम के अन्य आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आई थी, जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने एडीजी जोन आगरा और मण्डलायुक्त अलीगढ़ की अगुवाई में गठित एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम, सीओ व तहसीलदार सहित छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कार्यक्रम आयोजक तथा तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया था।

रिपोर्ट में बताया गया था कि उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ द्वारा बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किए आयोजन की अनुमति प्रदान कर दी गई और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया गया। अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया गया। एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की थी। इस मामले को लेकर जमकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला था, जिसमें विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर कार्रवाई में हीलाहवाली करने का आरोप लगाया था। हालांकि, इस मामले में कथावाचक भोले बाबा को क्लीन चिट मिल गई थी।

Year Ender 2024: कई दिनों तक सुलगता रहा बहराइच

हराइच जिले के महराजगंज में मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के दौरान डीजे पर बज रहे गाने को लेकर दो समुदायों में हुई नोंक-झोंक और मुस्लिम युवकों द्वारा रामगोपाल मिश्र की निर्मम तरीके से की गई हत्या के बाद कई दिनों पूरा जिला सांप्रदायिक हिंसा की आग में जलता रहा। रामगोपाल की हत्या के बाद गुस्साई भीड़ ने कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया। हिंसा शांत न होते देख खुद एडीजी कानून व्यवस्था अमिताभ यश को मैदान में उतरना पड़ा और काफी मशक्कत के बाद इलाके में शांति कायम हुई। रामगोपाल की हत्या के मामले में आरोपी अब्दुल हमीद, सरफराज फहीम, साहिर खान और ननकऊ व मारूप अली के खिलाफ केस दर्ज किया गया और सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की गई। हिंसा फैलाने के मामले में कुल 87 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।

इस घटना के बाद प्रभावित इलाके में 23 लोगों के घरों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर अतिक्रमण का नोटिस चस्पा किया गया। हालांकि, हाईकोर्ट ने मामले में स्टे लगा दिया था। घटना के तीसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतक रामगोपाल मिश्र के परिजनों से मुलाकात की और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने मृतक रामगोपाल मिश्र के परिजनों को 10 लाख रुपये की तत्काल आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश के साथ ही आवास, शौचालय व आयुष्मान समेत सरकार की सभी योजनाओं से आच्छादित कराने के लिए भी निर्देशित किया था।

ईयर एंडर 2024: संभल में मस्जिद के सर्वे पर उपद्रवियों ने किया बवाल

24 नवंबर को संभल में न्यायालय के आदेश पर जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान उपद्रवियों ने जमकर हिंसा की, जिसके बाद यह जिला पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गया। दरअसल, जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे को लेकर न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी। दावा किया गया था कि 16वीं शताब्दी की शुरूआत में मुगल शासक बाबर ने हरिहर मंदिर को तोड़कर जामा मस्जिद का निर्माण करवा दिया था। सिविल कोर्ट ने इसी मामले की सुनवाई करते हुए सर्वे का आदेश दिया था। एक दिन सर्वे तो शांतिपूर्ण हो गया लेकिन जब 24 नवंबर को दूसरे दिन एडवोकेट कमिश्नर, डीएम और पुलिस की टीम सर्वे के लिए पहुंची तो बवाल छिड़ गया। टीम के पहुंचने के बाद अचानक इकट्ठा हुई मुस्लिमों की भीड़ ने पुलिस टीम पर पथराव करना शुरू कर दिया और पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने उपद्रवियों पर लाठीचार्ज कर उन्हें तितर-बितर किया।

इसी दौरान उपद्रवियों की तरफ से की गई गोलीबारी में 04 युवकों की मौत हो गई थी, जबकि 29 से अधिक पुलिसकर्मी भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस मामले में 2,500 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी और 250 लोगों को पत्थरबाजी व हिंसा फैलाने के लिए गिरफ्तार भी किया गया, जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं। इस घटना के बाद पुलिस सख्त हुई और मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बिजली चोरी की आ रही शिकायतों के बाद चेकिंग अभियान चलाया गया, जिसमें बड़े पैमाने पर मस्जिदों के अलावा सैकड़ों घरों में बिजली चोरी पकड़ी गई। इसके बाद संभल में लगातार मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बंद पड़े मंदिर, कूप, बावड़ी व ऐतिहासिक तथ्य लगातार सामने आ रहे हैं और अब भी यह जिला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।

Year Ender 2024: मदरसे में चल रही थी जाली नोट की फैक्ट्री

उत्तर प्रदेश में संचालिक मदरसों में आतंकी कनेक्शन तो अक्सर सामने आते रहते हैं लेकिन 28 अगस्त को संगमनगरी प्रयागराज में चल रहे मदरसे में सनसनीखेज खुलासा हुआ था। मदरसा नकली नोट छापने की फैक्ट्री बन चुका था और यहां पर बड़े पैमाने पर नकली नोटों की छपाई हो रही थी। प्रयागराज पुलिस ने अतरसुइया इलाके में चल रहे मदरसे जामिया हबीबिया में छापा मारा, तो उसके होश फाख्ता हो गए। यहां बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ते हैं और इसके एक हिस्से में मस्जिद भी स्थित थी।

छापेमारी में पुलिस को बड़ी संख्या में जाली नोट, नोट छापने की मशीन व कई आपत्तिजनक किताबें भी बरामद हुई थी। मदरसे में आरएसएस के खिलाफ लिखी एक किताब बरामद हुई, जिसे महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसएम मुशर्रफ ने लिखा था। छापेमारी में कार्यवाहक प्रिंसिपल मोहम्मद तफसीरूल आफरीन और मास्टरमाइंड जाहिर खान को गिरफ्तार किया गया था।

जाहिर मदरसे का ही छात्र था। तफसीरूल और जाहिर दोनों मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले थे और दो अन्य गिरफ्तार किए गए युवक अफजल और शाहिद प्रयागराज के बाशिंदे थे। छापेमारी में एक लाख तीस हजार रूपए की कीमत के 100-100 रूपए के 1,300 नकली नोट, स्कैनर-प्रिंटर व नकली नोट तैयार करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तमाम सामग्रियां बरामद हुई थीं। डीसीपी सिटी दीपक भूकर ने बताया था कि यह लोग इतनी सफाई से नकली नोट छापते थे कि किसी को शक भी नहीं होता था। यह जान-बूझकर सौ के नोट ही छापते थे, जो बाजार में आसानी से खप जाए।

Year Ender 2024: पेपर लीक व नॉर्मलाइजेशन के मुद्दे पर उबले छात्र

देश का भविष्य कहे जाने वाले छात्र इस साल कई मौकों पर आंदोलित दिखे। पेपर लीक से जहां लाखों बच्चों को असहनीय पीड़ा झेलनी पड़ी, वहीं नॉर्मलाइजेशन के मुद्दे पर छात्रों को कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन भी करना पड़ा। 17-18 फरवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन परीक्षा खत्म होने के तुरंत बाद लीक का जिन्न बाहर निकल आया। छात्रों ने आरोप लगाया कि पेपर लीक हो गया था। छात्रों ने परीक्षा रद्द करने की मांग उठाई तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 फरवरी को त्वरित एक्शन लेते हुए पेपर रद्द कर दिया। सीएम के निर्देश पर छह महीने बाद 23, 24, 25, 30 व 31 अगस्त को दो पालियों में यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संपन्न हुई।

इसमें डीजीपी प्रशांत कुमार से लेकर खुफिया एजेंसियां नकल माफियाओं की कमर तोड़ने में लग रहे। अथक प्रयास का नतीजा रहा कि बिना किसी लीक के एग्जाम संपन्न हो गया और अभ्यर्थियों ने सीएम का धन्यवाद भी किया। इससे पहले 29 फरवरी को उत्तर प्रदेश बोर्ड की 12वीं कक्षा के जीव विज्ञान व गणित का पेपर लीक हो गया था, जिसने शिक्षा विभाग की खूब किरकिरी कराई थी। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आरओ-एआरओ और यूपी पीसीएस परीक्षा दो दिन में कराने व नॉर्मलाइजेशन लागू करने के फैसले का प्रयागराज सहित पूरे प्रदेश के प्र्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों ने जोरदार विरोध किया था।

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इसको लेकर हजारों छात्रों ने प्रयागराज में कई दिनों तक धरना प्रदर्शन किया और इसे वापस लेने की मांग की। कई दिनों तक रस्साकस्सी के बाद मुख्यमंत्री योगी ने हस्तक्षेप किया और फिर यूपी लोक सेवा आयोग ने छात्रों की मांगे मान लीं। आरओ-एआरओ परीक्षा स्थगित कर दी गई है और यूपी पीसीएस परीक्षा भी एक ही शिफ्ट में कराने का फैसला किया गया। परीक्षा में लागू नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को भी आयोग ने हटा दिया।

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