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मां सिद्धिदात्री की उपासना से होती है अष्ट सिद्धि-बुद्धि की प्राप्ति, इन मंत्रों का करें जाप

नई दिल्लीः नवरात्रि में नौ दिन तक जगत जननी माँ जगदंबा की विशेष आराधना होती है, जिसमें महा अष्टमी और महानवमी का विशेष महत्व होता है। महानवमी के साथ ही नवरात्रि का समापन होता है। नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। सिद्धिदात्री को देवी दुर्गा का नौंवा रूप माना जाता है। इसी दिन कन्या पूजन भी कराया जाता है। हवन व पूजन कार्यक्रम के अलावा रात्रि में नवरात्रि का पारण किया जाता है।

मां सिद्धिदात्री की उपासना से होती है सिद्धियों की प्राप्ति
मान्यता है कि नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की विशेष उपासना कर कई सिद्धियां प्राप्त की जा सकती है। भगवान शिव ने भी सिद्धि प्राप्ति के लिए मां सिद्धिदात्री की विशेष उपासना की थी। ज्योतिषियों के अनुसार, जिस तरह भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की तपस्या करके आठ सिद्धियां प्राप्ती की थी, उसी तरह माता की विधि विधान से पूजा और मंत्रों के उच्चारण से अष्ट सिद्धि और बुद्धि की प्राप्ति हो सकती है।

मां दुर्गा के सिद्धि और मोक्ष देने वाले स्वरूप को सिद्धिदात्री कहते हैं। मान्यता के मुताबिक पूरे विधि-विधान से पूजा करने पर मां दुर्गा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मां की पूजा से यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। अपने साधक भक्तों को महाविद्या और अष्ट सिद्धियां प्रदान करती हैं। मान्यता के मुताबिक सभी देवी-देवताओं को भी मां सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई है। अपने इस स्वरूप में माता सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं।

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देवी पुराण में वर्णन है कि भगवान शिव ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। संसार में सभी वस्तुओं को सहज पाने के लिए नवरात्रि के 9वें दिन इनकी पूजा की जाती है। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। ये कमल पर आसीन हैं और केवल मानव ही नहीं बल्कि सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर सभी इनकी आराधना करते हैं। यह मां का प्रचंड रूप है, जिसमें शत्रु विनाश करने की अदम्य ऊर्जा समाहित है। इस स्वरूप को तो स्वयं त्रिमूर्ति यानी की ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी पूजते हैं। सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सिद्धिदात्री मां के कृपा पात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे।

इन मंत्रों का करें जाप
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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