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World No Tobacco Day: धूम्रपान से अस्सी प्रतिशत बढ़ जाता है कैंसर का खतरा

नई दिल्ली: विश्व में तंबाकू (tobacco) के सेवन के कारण कैंसर के नए मरीज बढ़ रहे हैं। एशियन अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण बंसल बताते हैं कि हर महीने गले और सिर के कैंसर के 150 नए मरीज आते हैं, जिसमें से ज्यादातर मरीजों में तंबाकू (tobacco) का सेवन करते हैं। सारे मरीज 30 साल से ऊपर के हैं और इनमें से 20 प्रतिशत महिलाएं और 80 प्रतिशत पुरुष हैं। फेफड़ों के कैंसर के भी 50 से 60 नए मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत मरीजों में इसका कारण सिगरेट पीना है और 20 प्रतिशत मामले पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है।

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कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत मेहता बताते हैं कि तंबाकू (tobacco) का सेवन करने से खाने की नली के कैंसर के भी नए मरीज सामने आ रहे हैं। तंबाकू चबाने वाले ऐसे मरीजों की संख्या हर महीने 40-50 है जबकि इससे संबंधित पेट के कैंसर के भी 20 -25 नए मामले सामने आ रहे हैं। इसलिए तंबाकू के सेवन से बचना चाहिए। तंबाकू स्वास्थ्य के लिए न केवल सेवन करने वाले बल्कि उसके साथ रहने वालों के लिए भी खतरनाक है।

इसलिए मनाया जाता है विश्व तंबाकू निषेध दिवस

‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाने का मुख्य उद्देश्य तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। इसके साथ-साथ तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों को कम करना भी है।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1987 में एक प्रस्ताव पारित किया गया था। उसे 7 अप्रैल, 1988 को 'विश्व धूम्रपान निषेध दिवस' के रूप में लागू किया गया है। इस अधिनियम के तहत लोगों को कम से कम 24 घंटे तक तंबाकू (tobacco) का उपयोग करने से रोकना था। हालांकि, बाद में इसे 31 मई से विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। वर्ष 2008 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू से संबंधित किसी भी विज्ञापन या प्रचार पर भी प्रतिबंध लगा दिया।

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