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बारनवापारा अभ्यारण्य का बदला रूप, कायाकल्प के बाद वन्यप्राणियों को मिल रही हरी घास

रायपुर: छत्तीसगढ़ का सबसे उत्कृष्ट तथा आकर्षक अभ्यारण्य बारनवापारा का नया स्वरुप में कायाकल्प हुआ है। यह कायाकल्प वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य के अंतर्गत कैम्पा (छत्तीसगढ़ प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण) के वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 में स्वीकृत राशि से किया गया है। इसके तहत 5 हजार 920 हेक्टेयर रकबा में सघन लेन्टाना उन्मूलन तथा यूपोटोरियम उन्मूलन का कार्य हुआ है। जिसमें से बारनवापारा अभ्यारण्य के 19 कक्षों में कुल 950 हेक्टेयर रकबा में लेन्टाना उन्मूलन का कार्य और 32 कक्षों में कुल 4 हजार 970 हेक्टेयर रकबा में यूपोटोरियम उन्मूलन का कार्य शामिल है।

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राजधानी रायपुर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर बलौदाबाजार वनमंडल अंतर्गत स्थित बारनवापारा अभ्यारण्य में हुए वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य से वहां मृदा में नमी होने के कारण घास प्रजाति शीघ्रता से बढ़ने लगी हैं। साथ ही इससे अभ्यारण्य में वन्यप्राणियों को अब घास चरने के लिए अच्छी सुविधा उपलब्ध हो गई है। जिससे वे लेन्टाना तथा यूपोटोरियम के उन्मूलन कार्य के बाद स्वच्छंद विचरण भी करने लगे हैं। इससे पर्यटकों को वन्यप्राणियों की सहजता से दृष्टता हुई है और वन्यप्राणी भी स्वस्थ व तन्दुरूस्त दिखाई देने लगे हैं। अभ्यारण्य में वन्यप्राणी रहवास उन्मूलन कार्य के उपरांत घास पुनुरोत्पादन में स्पष्ट अंतर देखा जा सकता है।

244.86 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला बारनवापारा अभ्यारण्य –

बारनवापारा अभ्यारण्य का कुल क्षेत्रफल 244.86 वर्ग किमी है, जिसमें मुख्यतः मिश्रित वन, साल वन व पूर्व के सागौन के पेड़ हैं। बारनवापारा में मुख्य रूप से कर्रा, भिर्रा, सेन्हा, मिश्रित वनों में पाये जाते हैं। सागौन वृक्षारोपण क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उगे सागौन है तथा साल वन क्षेत्र कम रकबे में है।

खरपतवार हट जाने से वन्यप्राणियों को मिलेगी भरपूर हरी घास-

यहां अतिरिक्त शाकिय प्रजाति जैसे यूपोटोरियम, लेन्टाना, चरोठा आदि प्रमुख खरपतवार हैं, जिनके कारण बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र में पाये जाने वाले शाकाहारी वन्यप्राणियों को घास आदि नहीं मिलती, वन्यप्राणियों को आवागमन में भी दिक्कत होती है। इसे दृष्टिगत रखते हुए अभ्यारण्य में वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य के तहत सघन लेन्टाना एवं यूपोटोरियम के उन्मूलन का कार्य किया गया है, जिससे बारनवापारा अभ्यारण्य में अब वन्यप्राणियों को वर्षभर हरी खाद्य घास उनके भोजन व चारा के रूप में उपलब्ध हो सके।

गौरतलब है कि बारनवापारा अभ्यारण्य में तेन्दुए, गौर, भालू, साम्भर, चीतल, नीलगाय, कोटरी, चौसिंघा, जंगली सुअर, जंगली कुत्ता, धारीदार लकड़बग्घा, लोमड़ी, भेड़िया एवं मूषक मृग जैसे वन्यप्राणी बहुतायत में रहते हैं एवं आसानी से दिखते भी हैं।

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