कानपुरः देश को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं और आजादी की याद में अमृत महोत्सव भी मनाया जा रहा है, लेकिन कानपुर रेलवे आज भी अंग्रेजों के राज में जी रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि रेलवे में कानपुर का तीन अक्षर का कोड कानपोर नॉर्थ बैरक (Cawnpore North Barracks) से बना है जिसे सीएनबी (CNB) के नाम से जाना जाता है। हृदय रोग संस्थान कानपुर के निदेशक डॉ. विनय कृष्ण ने कहा कि अक्सर लोग सीएनबी (CNB) शब्द देखकर हैरान हो जाते हैं और सवाल पूछते हैं तो जानकार बताते हैं कि ब्रिटिश काल में कानपुर को कानपोर कहा जाता था। उस समय 1855 में देश की चौथी रेलवे लाइन कानपोर नॉर्थ बैरक (Cawnpore North Barracks)और इलाहाबाद के बीच बिछनी शुरू हुई थी। अतः सीएनबी शब्द को कानपुर (कानपोर) संबोधित कर कूटबद्ध किया गया है। सवाल उठता है कि रेलवे इसे सुधारने की कोशिश क्यों नहीं कर रहा है?
सीएनबी को लेकर हर कोई उत्सुक है
उन्होंने कहा कि सीएनबी 162 साल से पहले कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से और फिर कानपुर सेंट्रल स्टेशन से ट्रेन से यात्रा करने वालों के लिए तीन अक्षरों वाला एक जाना-पहचाना शब्द है, जिसका इस्तेमाल टिकट बुक करने से लेकर पूरा होने तक कई बार किया जा चुका है। फिर यह मान कर कि यात्रा भी पूरी हो गई, संक्षिप्त में ही कानपुर सेंट्रल से संबंधित हो जाएगी। नतीजतन, इसे जानने की जिज्ञासा अधूरी रह जाती है। आपने भी कानपुर सेंट्रल से कहीं ट्रेन से सफर किया होगा या किसी और शहर से यहां आए होंगे। टिकट पर लिखा ये सीएनबी जरूर देखा और पढ़ा होगा। ट्रेन के सफर में भले ही कई बार लंबा वक्त गुजर गया हो, लेकिन इस शब्द की सच्चाई जानकर शायद आप भी हैरान रह जाएंगे। हो सकता है कि कुछ लोगों को इसका अर्थ पता हो लेकिन दूसरों को बता न सके। कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन के उप मुख्य यातायात प्रबंधक व स्टेशन निदेशक आशुतोष सिंह ने बताया कि सीएनबी (CNB) कोड है। ऐसा पुराना कोड देश में मौजूद कई रेलवे स्टेशनों पर देखने को मिल जाएगा। झांसी रेलवे स्टेशन, आगरा, ट्रेन टिकट में कहां से कहां तक कानपुर सेंट्रल (सीएनबी) कॉलम में और रेलवे स्टेशन के नाम के बाद जहां आप जा रहे हैं, उसका संक्षिप्त नाम, उदाहरण के लिए, यदि आप लखनऊ जा रहे हैं, तो लखनऊ (एलकेओ) लिखा है। ऐसे शब्द अब रेलवे का कोड बन गए हैं। इनका परिवर्तन तभी संभव हो सकता है जब रेलवे स्टेशन का नाम और कोड फिर से बदला जाए।
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सीएनबी (CNB) ब्रिटिश सरकार का दिया हुआ नाम है
सीएनबी (CNB) की भाषा अंग्रेजी शासन की है। इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब तत्कालीन कानपोर (अब कानपुर) में अपनी जड़ें जमाईं तो यहीं से रेल यात्रा भी शुरू की। वर्ष 1855 में देश की चैथी और कानपुर यानी उत्तर क्षेत्र की पहली रेलवे लाइन कानपोर नॉर्थ बैरक (सीएनबी) से इलाहाबाद (एएलडी) तक शुरू की गई थी। अब जान लीजिए कि कानपुर से रेल यात्रा करने वालों के टिकट पर अभी भी वही सीएनबी (CNB) लिखा जा रहा है।
सीएनबी कहां है
डिप्टी चीफ ट्रैफिक मैनेजर ने बताया कि कानपोर नॉर्थ बैरक्स को अंग्रेजी में (Cawnpore North Barracks) लिखा जाता है। जिसके आधार पर संक्षिप्त नाम सीएनबी (CNB) बना है। इसे अब कानपुर का पुराना रेलवे स्टेशन कहा जाता है। वैसे युवा पीढ़ी तो यह भी नहीं जानती कि पुराना रेलवे स्टेशन कहां है। आपको बता दें कि जीटी रोड पर टाटमिल चौराहे के पास स्थित रेलवे अधिकारियों का आवास रेलवे के स्टेडियम के पास पुराने रेलवे स्टेशन का भवन है, जिसकी भव्यता आज भी देखते ही बनती है। यहीं से सबसे पहले मालगाड़ी का परिचालन शुरू हुआ। तत्कालीन कानपोर (अब पुराना कानपुर रेलवे स्टेशन) कोलकाता से 632 मील और बंबई से 962 मील दूर था, जो आज भी स्टेशन पर अंकित है। सीएनबी अब रेलवे का कोड बन गया है। 3 मार्च, 1859 को चली थी पहली मालगाड़ी कानपोर नॉर्थ बैरक (सीएनबी) से इलाहाबाद (एएलडी) तक पहली बार मालगाड़ी 10 वैगनों में ईंट-पत्थर लादकर चली थी। इस मालगाड़ी की रफ्तार 10 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इसके सफल संचालन के बाद कानपुर में रेल का सफर धीरे-धीरे आगे बढ़ा।
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