Home उत्तर प्रदेश Lok Sabha Elections: बुनकरों का किला किसको बिठाएगा सत्ता की कालीन पर!

Lok Sabha Elections: बुनकरों का किला किसको बिठाएगा सत्ता की कालीन पर!

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Lucknow : उत्तर प्रदेश की भदोही लोकसभा सीट पूर्वांचल की अहम सीटों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान का नाम उस क्षेत्र के ‘भार राज्य’ से लिया गया है, जिसने भदोही को अपनी राजधानी बनाया था। भदोही शहर कालीन निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। भदोही को संत रविदास नगर के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर कालीन निर्माण और हस्तशिल्प के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। भदोही को बुनकरों का घर कहा जाता है। यहां का भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान एशिया में अपनी तरह का एकमात्र संस्थान है। उत्तर प्रदेश की संसदीय सीट संख्या 78 भदोही पर छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होगा।

भदोही संसदीय सीट का इतिहास

2009 में भदोही लोकसभा के परिसीमन से पहले इसे मिर्ज़ापुर-भदोही संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। परिसीमन के बाद भदोही की तीन और प्रयागराज की दो विधानसभा सीटों को मिलाकर भदोही सीट का गठन किया गया। 2009 में हुए आम चुनाव में पहली बार इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जीत हासिल की। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल की। इसके बाद पिछले दो चुनावों में बीजेपी का सिक्का जमा हुआ है।

पिछले दो चुनावों की स्थिति

साल 2019 में हुए संसदीय चुनाव में बीजेपी ने भदोही लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। बीजेपी ने यहां से रमेश चंद को मैदान में उतारा था। जवाब में बसपा ने रंगनाथ मिश्रा को मैदान में उतारा। उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के बीच चुनावी गठबंधन हुआ था और बसपा ने यहां से अपना उम्मीदवार उतारा था। बीजेपी उम्मीदवार को 510,029 (49.05 फीसदी) वोट मिले जबकि बीएसपी को 466,414 (44.85 फीसदी) वोट मिले। चुनाव बेहद करीबी मुकाबला था और रमेश चंद महज 43,615 वोटों के अंतर से जीते। कांग्रेस के रमाकांत 25,604 वोट (2.46 फीसदी) के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

इससे पहले 2014 के चुनाव में जब देश में मोदी लहर थी तो बीजेपी ने वीरेंद्र सिंह मस्त और बीएसपी ने राकेश धर त्रिपाठी को टिकट दिया था। सपा ने सीमा मिश्रा को मैदान में उतारा। चुनाव में तीनों उम्मीदवारों को 2-2 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। हालांकि, बीजेपी के वीरेंद्र सिंह 1 लाख 58 हजार 141 वोटों से चुनाव जीत गए और सांसद बन गए।

किस पार्टी ने किसे बनाया उम्मीदवार?

भदोही लोकसभा सीट से बीजेपी ने डॉ. विनोद कुमार बिंद को मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी ने इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट तृणमूल कांग्रेस के लिए छोड़ दी है। ललितेश पति त्रिपाठी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) से चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा से हरिशंकर सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं।

भदोही सीट का जातीय समीकरण

भदोही संसदीय सीट पर करीब 20 लाख मतदाता हैं। इस सीट पर ब्राह्मण वोट बैंक निर्णायक है। एक अनुमान के मुताबिक इस सीट पर करीब 3 लाख 15 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। दूसरे स्थान पर बिंद मतदाताओं की संख्या करीब 2 लाख 90 हजार है। इनके अलावा दलित वोटर 2 लाख 60 हजार, यादव 1 लाख 40 हजार, राजपूत एक लाख, मौर्य 95 हजार, पाल 85 हजार, वैश्य 1 लाख 40 हजार, पटेल 75 हजार, मुस्लिम करीब 2 लाख 50 हजार और 1 लाख 50 हजार के आसपास अन्य वोटर हैं।

विधानसभा सीटों की स्थिति

भदोही संसदीय सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें भदोही जिले की ज्ञानपुर, औराई और भदोही विधानसभा सीटें और प्रयागराज जिले की प्रतापपुर और हंडिया विधानसभा सीटें शामिल हैं। औराई सीट से बीजेपी और हंडिया सीट से निर्बल इंडियन शोषित हमारा दल (निषाद पार्टी) का विधायक है। बाकी सीटें सपा के पास हैं।

जीत और चुनौतियों का गणित

बीजेपी प्रत्याशी विनोद बिंद पेशे से डॉक्टर हैं। विनोद बिंद की बिंद समुदाय के साथ-साथ ब्राह्मण और अन्य जातियों के मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है। तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार ललितेश पति त्रिपाठी पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के परपोते हैं। 2021 में वह कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गए। प्रचार में ललितेशपति त्रिपाठी ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम वोटरों को लुभाने में जुटे हैं। उन्हें इस समीकरण से जीत की उम्मीद है। हालाँकि, ललितेश की कमजोरी यह है कि उनकी पार्टी और चुनाव चिन्ह क्षेत्र में लोकप्रिय नहीं हैं। यह निर्वाचन क्षेत्र ब्राह्मण बहुल है और जेल में बंद नेता विजय मिश्रा कथित तौर पर टीएमसी उम्मीदवार को अपना समर्थन दे रहे हैं। बीजेपी अपने कोर वोटरों के साथ-साथ दलितों में भी सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी को दलितों का वोट मिलने की भी उम्मीद है, क्योंकि बीएसपी उम्मीदवार हरिशंकर दलितों के मन पर असर डालने में सफल नहीं दिख रहे हैं।

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राजनीतिक समीक्षक केपी त्रिपाठी के मुताबिक, रुझानों से साफ है कि भदोही में चुनाव में जाति आधारित गोलबंदी ही जीत और हार की हकीकत बनी हुई है। पीएम मोदी की वाराणसी सीट से जुड़ी इस सीट पर मोदी-योगी की जोड़ी का प्रभाव दिखता है।

भदोही से कौन कब बना सांसद

2009 गोरखनाथ (बीएसपी)

2014 वीरेन्द्र सिंह मस्त (बीजेपी)

2019 रमेश चंद (बीजेपी)

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