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कितनी है बंगाल में प्रवासी मजदूरों की संख्या? हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के अंदर मांगी रिपोर्ट

कोलकाता: कोलकाता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार से राज्य में प्रवासी मजदूरों के आंकड़ों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के अंदर हलफनामे के रूप में मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि राज्य सरकार स्पष्ट तस्वीर क्यों नहीं दे पाई है। पीठ विश्वजीत मुखोपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोविड-महामारी और लॉकडाउन की अवधि के दौरान राज्य के कई प्रवासी श्रमिक वापस आ गए थे। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा राज्य से प्रवासी मजदूरों की अनुमानित संख्या की स्पष्ट रूप से गणना करने के लिए कोई पहल नहीं की गई थी। याचिकाकार्ता का आरोप है कि उसने 2021 के विधानसभा के चुनाव के बाद राज्य सरकार से जवाब मांगा था लेकिन इस मामले में उसे कोई जवाब नहीं मिला। यह भी पढ़ें-कोलकाता में एडिनोवायरस का प्रकोप, अब तक 18 बच्चों की गईं जान 2022 में, मुखोपाध्याय ने उसी के लिए एक आरटीआई दायर की, जिसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें विशिष्ट जानकारी की कमी के बारे में सूचित किया। नियम के मुताबिक, अगर कोई कारखाना किसी विशेष राज्य के 5 उससे अधिक प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देता है, तब कारखाने के अधिकारियों को मूल राज्य के अधिकारियों को सूचित करना आवश्यक होता है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)