गलतियों पर बच्चों को डांटने और पीटने के बजाय अपनाएं Time Out तकनीक, जानें कैसे करता है असर

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Time Out, नई दिल्लीः बच्चों की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं है। पुराने ज़माने की परवरिश और आज की परवरिश में काफ़ी बदलाव आया है। बच्चों को बेहतर इंसान बनाने के लिए उन्हें अनुशासित रखना ज़रूरी है। पहले जहाँ माता-पिता बच्चों को उनकी गलतियों के लिए डांटकर और पीटकर सिखाते थे, वहीं आज के माता-पिता ऐसा नहीं कर रहे हैं। पेरेंट्स को अब समझ में आ गया है कि डांटने और मारने से बच्चों पर ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता।

इसलिए अब बच्चों को सही चीज़ें सिखाने और सुधारने के लिए दूसरा फ़ॉर्मूला अपनाया जा रहा है। जो है Time Out तकनीक। इसके माध्यम से आप बच्चे को विनम्र और सौम्य तरीके से भी अनुशासन सिखा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि बच्चों को उनकी गलतियों का एहसास कराने में टाइम आउट तकनीक काफी हद तक कारगर सबित हुई है। यह तकनीक बच्चों को स्वभाव से जिम्मेदार बनाती है, जिससे उन्हें अपना जीवन बेहतर तरीके से जीने में मदद मिलती है। यह न केवल बच्चों के लिए बल्कि माता-पिता के लिए भी फायदेमंद है। आइए इसके बारे में जानते हैं ।

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क्या है Time Out तकनीक या सिद्धांत ?

दरअसल टाइम आउट (Time Out) सिद्धांत पेरेंटिंग का एक ऐसा तरीका है जिसमें जब बच्चा कोई गलती करता है तो उसे तुरंत डांटकर और पीटकर कर सजा नहीं दी जाती। बल्कि उसे एक कमरे में अकेला छोड़ दिया जाता है। जहाँ उसके पास मनोरंजन का कोई विकल्प नहीं होता और घर का कोई सदस्य उससे बात भी नहीं करता। ऐसे में बच्चे को सोचने का समय मिल जाता है। उसे सही और गलत का फर्क समझ में आता है। शांत मन से खुद का बेहतर मूल्यांकन किया जा सकता है। टाइम आउट एक सुधारात्मक तकनीक है जिसका उपयोग 2 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के व्यवहार को सुधारने या उन्हें उनकी गलतियों के बारे में समझाने के लिए किया जाता है।

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Time Out तकनीक के फायदे

  • Time Out तकनीक के माध्यम से बच्चे मानसिक रूप से मजबूत बनते हैं, जो उनकी बढ़ती उम्र में काफी मददगार साबित होता है।
  • इस उपाय की मदद से बच्चे अपने माता-पिता की बात सुनना शुरू कर देते हैं।
  • टाइम आउट सिद्धांत बच्चों को आत्मनिरीक्षण करने का मौका देता है।
  • इससे बच्चों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आते हैं। वे अपने माता-पिता की बात ध्यान से सुनते हैं और उनकी बात मानते हैं।
  • गलती करने पर डांटने और मारने की बजाय बच्चे अपनी गलती जल्दी समझ जाते हैं, जिससे वे दोबारा गलती करने से बच जाते हैं।

नोटः टाइम आउट के दौरान बच्चे को ऐसी जगह पर न रखें जहां वह बिल्कुल अकेला हो या जहां वह खुद को नुकसान पहुंचा सकता हो। साथ ही टाइम आउट 2 से 5 मिनट से ज्यादा का न हो। अगर बच्चे को अपनी गलती का एहसास हो जाए तो टाइम आउट बंद कर दें।

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