Wednesday, December 18, 2024
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Homeउत्तर प्रदेशयुवाओं को मौत के मुंह में धकेल रही ‘दिल’ की कमजोरी

युवाओं को मौत के मुंह में धकेल रही ‘दिल’ की कमजोरी

लखनऊः इन घटनाओं से पहले भी ऐसे ही अचानक कई और लोगों ने अपनी जान गवांई हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इस तरह अचानक होने वाली मौतों के लिए मुख्यतः दिल की बीमारी जिम्मेदार हो सकती है या फिर आनुवांशिक कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं।राजधानी के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्वप्निल पाठक का कहना है कि जिस तरह से कम उम्र में ही कार्डियक अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अब हमें और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। देश ही नहीं, विदेशों तक में ऐसी घटनाएं देखी जा रही है, जहां कम उम्र में ही व्यक्ति अचानक मौत के मुंह में चला जाता है। इस सभी असामान्य मौतों के लिए सामान्यतः दिल की बीमारियां ही जिम्मेदार है।

देश में हर साल करीब एक करोड़ लोग दिल की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। इसमें से करीब 1.5 लाख लोगों की मौत का कारण दिल की बीमारी ही होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, हार्ट अटैक आने वाले लोगों में 50 फीसदी ऐसे होते हैं, जो पांच साल तक जी पाते हैं। डॉ. स्वप्निल का कहना है कि कुछ लक्षण के बारे में सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है। जैसे सांस लेने में कठिनाई होना ऐसी ही एक समस्या है, जिसे आमतौर पर फेफड़ों की दिक्कत या अस्थमा मान लिया जाता है पर यह हार्ट अटैक का शुरुआती संकेत भी हो सकता है।

अचानक मौत होना दिल की कई बीमारियों के कारण हो सकता है। आनुवांशिक कारण की आशंका का पता चलते ही व्यक्ति पहले से ही एहतिहात बरत सकता है। डॉ. स्वप्निल कहते हैं कि सांस से सम्बंधित किसी भी तरह की दिक्कत को गम्भीरता से न लेना बहुत महंगा पड़ सकता है। फेफड़ों या हृदय की समस्याएं ऐसी गम्भीर स्थितियां पैदा कर सकती हैं कि आपकी जान पर बन आए, ऐसे में इनसे बचाव को लेकर सभी लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।


जल्द डॉक्टर से मिलकर लें सलाह

सांस लेने में होने वाली कठिनाई की समस्या हो सकता है कि दिल के गम्भीर बीमार होने का संकेत दे रही हो। यदि किसी को इस तरह की दिक्कतों का अनुभव हो रहा हो, तो डॉक्टर से सलाह लेकर परीक्षण जरूर करवाएं। सही समय मे दिल की सही स्थिति का पता होना अचानक होने वाली किसी बड़ी समस्या से बचा सकता है। सामान्यतः धमनियों के अवरुद्ध होने की स्थिति में सांस लेने में कठिनाई महसूस हो सकती है। धमनियों में कई कारणों से रुकावट देखी जाती है। यदि इस स्थिति में थोड़ी लापरवाही बरती जाए, तो इससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा हो सकता है। ऐसा नहीं है कि सांस लेने में होने वाली कठिनाइयां हर बार दिल के बीमार होने का संकेत हो, कुछ स्थितियों में सीने में जकड़न के कारण भी ऐसी दिक्कत हो सकती है। हालांकि, इन सभी स्थितियों का समय रहते इलाज और उपचार होना जरूरी है।

हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेल्योर में अंतर

हार्ट अटैकः हार्ट अटैक के मामले में धमनियों में किसी तरह के ब्लाॅकेज के कारण दिल को खून नहीं पहुंच पाता या कम मात्रा में पहुचता है। पर्याप्त मात्रा में खून पम्प नहीं हो पाता है। इससे दिल तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचने से व्यक्ति की मौत तक हो जाती है। इस स्थिति में सीने में तेज दर्द के साथ गले, पीठ और बांह में भी दर्द महसूस हो सकता है। पसीना, उलझन और तेज धड़कन इसके लक्षण है।

क्या करेंः खून पतला करने वाली दवाई का सेवन कर सकते हैं, साथ ही जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहंुचना चाहिए।

कार्डियक अरेस्टः कार्डियक अरेस्ट अचानक ही बहुत गम्भीर स्थिति में पहंुचा देती है। दरअसल, कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में दिल को चलाने वाला सिस्टम ही काम करना बंद कर देता है या फिर यह इतना तेज हो जाता है कि व्यक्ति बेहोश हो जाता है।


क्या करेंः इस स्थिति में सबसे पहले व्यक्ति को सीपीआर देना चाहिए। उसके बाद उसे इलाज के लिए किसी अस्पताल में ले जाना चाहिए।

हार्ट फेल्योरः इस मामले में दिल खून पम्प करना ही बंद कर देते हैं। इसका एक कारण पुराना हार्ट अटैक भी हो सकता है। सांस फूलना, पैरों तथा पंजों में सूजन इसका लक्षण है। लोगों की लाइफस्टाइल, बढ़ती उम्र और खान-पान इसकी बड़ी वजह होती है।

क्या करेंः ऐसी स्थिति ही न बने, सबसे पहले इसके लिए सतर्क रहें। जिनको पहले अटैक आ चुका है, वे संयमित जीवन व्यतीत करें। नियमित दिल की जांच कराते रहें।

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रिपोर्ट-पवन सिंह चौहान


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