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असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है विजयादशमी, जानें शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

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नई दिल्लीः दशहरा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में दशहरा या विजयादशमी शामिल है। हर साल विजयादशमी का पर्व शारदीय नवरात्रि के समापन के अगले दिन आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 15 अक्टूबर दिन शुक्रवार को पड़ रही है, अर्थात इस बार दशहरा का पर्व 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का त्योहार है। इस दिन रावण दहन के अलावा शस्त्र पूजन का भी विधान है। जानते हैं दशहरा का शुभ मुहूर्त और महत्व।

दशहरा का शुभ मुहूर्त
आश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि आरंभ - 14 अक्टूबर 2021 को शाम 6 बजकर 52 से
आश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि समाप्त - 15 अक्टूबर 2021 शाम 06 बजकर 02 मिनट पर

पूजन का समय
15 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 02 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक

पूजन विधि
विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है। इसलिए इसे क्षत्रियों का भी प्रमुख त्यौहार माना जाता है। इस दिन घर में जो भी शस्त्र होता है उसकी पूजा की जाती है। पूजन के लिए घर के सभी सदस्यों को प्रातः उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद सबसे पहले सभी शस्त्रों को पूजा के लिए निकाल कर एकत्रित कर लें। अब सभी शस्त्रों पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। इसके बाद सभी शस्त्रों पर हल्दी या कुमकुम से तिलक करके पुष्प अर्पित करें। शस्त्र पूजन करते समय फूलों के साथ शमी के पत्ते भी अर्पित करें।

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दशहरा का महत्व
इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। लोग अलग-अलग तरह से दशहरा मनाते हैं। सनातन धर्म में प्राचीन समय से ही शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस दिन लोग शस्त्र पूजन और वाहन पूजन भी करतें हैं। इसके अलावा कुछ लोग इस दिन नया कार्य भी आरंभ करते हैं, क्योंकि नए कार्य का आरंभ करने के लिए यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।

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