जिले में जमा हो गई 1.81 लाख डोज वैक्सीन, अब बढ़ा ये खतरा

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बैतूलः कोविड की तीसरी लहर सामान्य रूप से निकल जाने के बाद जिले में वैक्सीन लगवाने लोगों का रवैया उदासीन हो गया है। प्रतिदिन बमुश्किल 2 से 3 सौ डोज ही वैक्सीन लग पा रही है जिससे जिले के वैक्सीन स्टोर में तीनों कंपनियों की वैक्सीन के एक लाख 81 हजार डोज जमा हो गए हैं। अगले तीन माह में यदि इनका उपयोग नहीं हो पाया तो अधिकतर वैक्सीन एक्सपायर हो जाएगा। वैक्सीनेशन की वर्तमान में जो रफ्तार है उसके हिसाब से अगले 3 माह में 25 फीसदी वैक्सीन का उपयोग भी नहीं हो पाएगा। ऐसे में स्वास्थ्य महकमे को या तो वैक्सीन दूसरे जिले में भेजना होगा या फिर 18 से 59 साल के नागरिकों को नि:शुल्क वैक्सीन लगाने की शुरूवात करनी होगी अन्यथा वैक्सीन का बर्बाद होना तय नजर आ रहा है।

1.81 लाख डोज का स्टाक

जिले के वैक्सीन स्टोर रूम सहित 10 विकासखंड में वैक्सीन स्टोर रूम में भरपूर वैक्सीन उपलब्ध है। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. एके भट्ट ने बताया कि जिले में वर्तमान में कोविशील्ड वैक्सीन की 90 हजार डोज, कोवैक्सीन की 40 हजार डोज और बालको को लगाई जाने वाली काबोवैक्स वैक्सीन की 51 हजार डोज उपलब्ध है। डॉ. भट्ट ने बताया कि गर्मी और शादी के सीजन के चलते लोग वैक्सीन लगाने नहीं आ रहे हैं। प्रतिदिन लगभग 2 से 3 सौ नागरिक ही वैक्सीन लगवा रहे हैं। जिले में उपलब्ध वैक्सीन की एक्सपायरी तीन माह बाद की है। यदि एक्सपायरी तारीख के पूर्व इनका उपयोग नहीं किया गया तो वैक्सीन बेकार हो जाएगी जिससे वैक्सीन या तो दूसरे जिले में भिजवाना पड़ेगा या फिर यहीं पर बेकार हो जाएगी।

1.18 लाख ने नहीं लगवाया प्रथम डोज

जिले में हेल्थ केयर वर्कर्स, फ्रंट लाइन वर्कर्स के साथ ही 12 साल से अधिक उम्र के कुल 13 लाख 69 हजार 501 नागरिकों को वैक्सीन लगना है। 17 मई तक जिले में 12 लाख 51 हजार 198 नागरिकों ने ही प्रथम डोज लगवाई है। 1 लाख 18 हजार 403 नागरिकों को अभी भी प्रथम डोज लगना है जिसमें 12 से 14 वर्ष के बालकों से लेकर 60 साल से अधिक उम्र के नागरिक शामिल हैं। जो स्वास्थ्य विभाग के लाख प्रयासों के बाद भी वैक्सीन लगवाने नहीं पहुंच रहे हैं।

वहीं प्रथम डोज लगवा चुके नागरिकों में से 83 हजार 872 नागरिक ऐसे हैं जो सेकेंड डोज लगवाने नहीं आए हैं। सरकार द्वारा वैक्सीन का प्रिकाशन डोज सिर्फ हेल्थ केयर वर्कर्स, फ्रंट लाइन वर्कर्स और 60 साल से अधिक उम्र के नागरिकों को ही नि:शुल्क लगाया जा रहा है। लेकिन बुजुर्गों की बात तो दूर हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स भी प्रिकाशन डोज लगाने आगे नहीं आ रहे हैं।

जिले के 9127 हेल्थ केयर वर्कर्स ने सेकेंड डोज लगवा ली है लेकिन प्रिकाशन डोज सिर्फ 6240 ने ही लगवाई है। इसी प्रकार फ्रंट लाइन वर्कर्स में भी 9014 में से 5739 ने ही तीसरी डोज लगवाई है। 60 साल से अधिक उम्र के 1 लाख 42 हजार 784 बुजुर्ग सेकेंड डोज लगवा चुके हैं इनमें से अधिकतर बुजुर्गों को सेकेंड डोज लगाने के बाद नौ माह का समय भी बीत चुका है लेकिन अभी तक मात्र 7 हजार 231 बुजुर्गों ने ही प्रिकाशन डोज लगवाई है। यदि सभी पात्र नागरिक प्रिकाशन डोज लगवाने ही पहुंच जाए तो जिले में जमा वैक्सीन का स्टाफ समाप्त हो जाएगा।

18 से 59 साल के नागरिकों की नहीं है व्यवस्था

18 से 59 साल के नागरिकों को सरकार द्वारा नि:शुल्क प्रिकाशन डोज नहीं लगाया जा रहा है। इन नागरिकों को वैक्सीन की तीसरी डोज लगवाने प्राइवेट अस्पतालों में निर्धारित शुल्क जमा कर वैक्सीन लगवाना होगा। प्राइवेट अस्पताल को सरकार 236 रुपए प्रति डोज में वैक्सीन उपलब्ध करवा रही है वहीं 150 रुपए प्रति डोज अस्पताल प्रबंधन चार्ज ले सकता है। नागरिक को प्रति डोज 386 रुपए चुकाना होगा। लेकिन जिले के किसी भी प्राइवेट अस्पताल में वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है। इसका मुख्य कारण वेस्टेज को बताया जा रहा है। एक वैक्सीन की शीशी 5 एमएल की है जिसमें 10 डोज वैक्सीन आती है। शीशी खुलने के बाद 4 से 5 घंटे तक ही उसका उपयोग किया जा सकता है। इसके बाद वैक्सीन वेट हो जाती है। इसी के चलते जिले के किसी भी प्राइवेट अस्पताल ने वैक्सीनेशन शुरू नहीं किया है जिससे 18 से 59 साल आयु वर्ग के 9 लाख 40 हजार 246 नागरिक सेकेंड डोज लगवाने के बावजूद प्रिकाशन डोज नहीं लगवा पा रहे हैं। यदि सरकार इस आयु वर्ग को नि:शुल्क प्रिकाशन डोज लगवाने की अनुमति दे देती है तो जिले में वैक्सीन का स्टाक कुछ दिन में ही समाप्त हो जाएगा।

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