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उत्तराखंड : मछली पालन से संवर रही यहां के युवाओं की तकदीर

बागेश्वरः प्रधानमंत्री मत्स्य पालन संपदा योजना से उत्तराखंड का बागेश्वर जिला तो आत्मनिर्भर हो ही रहा है, यहां के युवाओं की तकदीर भी संवर रही है। वे स्वरोजगार के साथ ही बेहतर कमाई भी कर रहे हैं। जिले में पिछले साल ट्राउट मछली पालन की शुरूआत की गई थी, जो बागेश्वर के युवाओं को बहुत भा रही। पहली बार शुरू हुई इस योजना से अब तक करीब चार सौ लोग से जुड़ चुके हैं।

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प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत बागेश्वर जिले में चार समितियों के 65 लाभार्थी क्लस्टर आधार पर ट्राउट प्रजाति की मछली का पालन कर आर्थिकी सुधार रहे हैं। बागेश्वर के कपकोट तहसील के लीती रिठकुला में ट्राउट मछली का उत्पादन सहकारी समिति के तहत किया जा रहा है। समिति से जुड़े लोगों को अब इसका फायदा भी मिलने लगा है। कुंवर सिंह कोरंगा बताते हैं कि ट्राउट मछली के फायदे को जानकर उन्होंने ग्यारह लोगों को समूह बनाकर इसकी शुरूआत की तो विभाग ने अठारह लाख की मदद की।

ट्राउट प्रजाति की मछली का किया जा रहा है उत्पादन

जिले के जगथाना, चचई और लीती में करीब 20 नाली भूमि में ट्राउट प्रजाति की मछली का उत्पादन किया जा रहा है। मछली पालन के इच्छुक युवाओं को विभाग से हरसंभव मदद दी जा रही है। कुंवर सिंह कोरंगा बताते हैं कि मछलियों के बीज, चारे, तालाब बनाने में मत्स्य विभाग का भरपूर सहयोग मिलता है।

एक हजार रुपये किलो बिकती है यह मछली

जिला मत्स्य निरीक्षक मनोज मियान ने बताया कि गत वर्ष 65 युवाओं ने योजना के तहत आवेदन किया था। समितियां बनाकर उन्हें लाभांवित किया गया। जिस पर तीस लाख रुपये व्यय कर ट्राउट मछली पालन शुरू किया गया। योजना के तहत लाभार्थियों को 50 फीसदी अनुदान भी मिला। ट्राउट प्रजाति की मछली के लिए कम तापमान की जरूरत होती है। 10-15 डिग्री तापमान वाले स्थानों में जगथाना, लीती, चचई आदि स्थानों का चयन किया गया है। पहले सीजन में समितियों ने लगभग दस लाख का मुनाफा कमाया। ट्राउट मछली की कीमत एक हजार रुपये किलो तक है।

200 वर्ग मीटर का तालाब बना शुरू कर सकते हैं मछली पालन

मछली पालन मुख्यत: पानी की उपयोगिता पर निर्भर करता है। जिन गांवों में पानी प्रचुर मात्रा में हैं, वहां के मछली पालक 50,100 या 200 वर्ग मीटर का तालाब बनाकर मछली पालन शुरू कर सकते हैं। मछली पालन के लिए कच्चा तालाब निर्माण के लिए मत्स्य विभाग से सामान्य वर्ग के लिए 40 और एससी-एसटी वर्ग के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है। मछली के बीज विभाग और सीट विभाग से निशुल्क दिए जाते हैं। चारे में भी 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाती है।

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