उत्तर प्रदेश राजनीति

UP: योगी कैबिनेट का कब होगा विस्तार ! राजभर और दारा सिंह के मंत्री बनने की राह में क्या रोड़े ?

OP-Rajbhar-and-Dara-Singh लखनऊः उत्तर प्रदेश में कैबिनेट फेरबदल में देरी से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ( Om Prakash Rajbhar )और बीजेपी के ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान के कैबिनेट में शामिल होने पर सवालिया निशान लग गया है। हाल ही में घोसी उपचुनाव में हार के बावजूद दोनों नेता कैबिनेट में शामिल होने को लेकर बेहद आश्वस्त थे। राजभर ने तो यहां तक ऐलान कर दिया था कि उन्हें और दारा सिंह चौहान को जल्द ही कैबिनेट में जगह मिलेगी।

अनिल राजभर के बयान से उठे सवाल

ये सवाल तब उठा जब यूपी के मंत्री अनिल राजभर ने पार्टी मीटिंग में एसबीएसपी नेता पर सीधा हमला बोला और कहा, राजभर समाज को मोदी-योगी से जुड़ने के लिए बिचौलिए की जरूरत नहीं है। संदर्भ स्पष्ट रूप से एसबीएसपी का था और यह पहली बार था कि किसी भाजपा नेता ने एसबीएसपी पर हमला किया था। राजनीतिक गलियारों में अटकलें हैं कि अनिल राजभर ने यह बयान बीजेपी नेतृत्व की मंजूरी के बिना नहीं दिया होगा। भाजपा के भीतर भी इसे लेकर विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं। 2019 में ओम प्रकाश राजभर के पहली बार बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद बीजेपी अनिल राजभर को उनके समुदाय के नेता के तौर पर प्रचारित कर रही है। हालाँकि, कुछ बीजेपी नेताओं का मानना है कि जब विपक्ष के कुछ शीर्ष नेताओं से मुकाबला करने की बात आती है, तो ओम प्रकाश राजभर काम आते हैं। ये भी पढ़ें..एक्शन के बाद बदले ट्रूडो के सुर, बोले- भारत के साथ चाहते हैं मजबूत संबंध

दारा सिंह को मंत्री पद मिलने की उम्मीद 

हालांकि, बीजेपी के एक अन्य वर्ग का मानना है कि राजभर संपत्ति से ज्यादा कर्जदार हैं। इस बीच घोसी में हार के बावजूद दारा सिंह चौहान को मंत्री पद मिलने की उम्मीद है। वह बीजेपी नेतृत्व से मिलने के लिए दो बार दिल्ली जा चुके हैं, जबकि राजभर ने नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधने के लिए बिहार में दो रैलियां भी की हैं। ऐसा कहा जाता है कि दारा एक उम्मीदवार के रूप में नामांकित होने की पैरवी कर रहे हैं, एक ऐसी संभावना जिससे उनके मंत्री बनने की संभावना काफी बढ़ जाएगी। डॉ. दिनेश शर्मा के राज्यसभा के लिए चुने जाने से खाली हुई एमएलसी सीट के लिए कई दावेदार हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले एक भाजपा नेता ने कहा, योगी आदित्यनाथ एक नए चेहरे को प्राथमिकता देंगे, जो पार्टी के लिए काम कर सके और जिसकी छवि अच्छी हो। राजभर को राजनीतिक संकटमोचक के रूप में जाना जाता है जबकि चौहान में विश्वसनीयता की कमी है। योगी इन दोनों को शामिल करने के बजाय कैबिनेट फेरबदल को टालना पसंद करेंगे। अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)