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यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल जारी, योगी सरकार ने कसी कमर, गड़बड़ी की तो लगेगा रासुका

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लखनऊः उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर गुरुवार रात से 72 घंटे की हड़ताल शुरू कर दी। उधर बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए योगी ने योगी सरकार ने भी कमर कस ली है। प्रदेश सरकार ने चेतावनी दी है कि वह हड़ताली बिजली कर्मचारियों से सख्ती से निपटेगी और बिजली व्यवस्था में गड़बड़ी करते पाए जाने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) और रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी।

वहीं सरकार के साथ 3 दिसंबर के समझौते को लागू करने की मांग कर रहे कर्मचारियों ने धमकी दी है कि अगर किसी भी हड़ताली को गिरफ्तार किया गया या परेशान किया गया तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। अधिकारियों ने कहा कि बिजली आपूर्ति को पटरी पर रखने के लिए सभी वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गई हैं।

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बता दें कि यूपी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेताओं को हड़ताल के आह्वान को वापस लेने के लिए मनाने के अंतिम प्रयासों के बाद, राज्य के ऊर्जा मंत्री ए.के.शर्मा ने स्वीकार किया कि वार्ता विफल रही। उन्होंने कहा कि सरकार तीन दिसंबर के समझौते के ज्यादातर बिंदुओं को लागू करने पर विचार करने को तैयार है। शर्मा ने आगे कहा कि बातचीत के दरवाजे अब भी खुले हैं, लेकिन अगर हड़ताली अनियमितता में लिप्त पाए जाते हैं तो सरकार उनसे सख्ती से निपटेगी। उन्होंने कहा, कर्मचारियों ने ऐसे समय में हड़ताल पर जाने का फैसला किया, जब लोगों को गर्मी के मौसम में सुचारु बिजली आपूर्ति की जरूरत है।

मंत्री ने चेतावनी दी कि बिजली व्यवस्था में गड़बड़ी करने वाले के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर उपभोक्ताओं को कोई असुविधा होती है तो आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) के प्रावधानों को भी लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संविदा कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने पर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी।

UPPCL के अध्यक्ष एम. देवराज ने कहा कि बिजली आपूर्ति को पटरी पर लाने के लिए सभी वैकल्पिक इंतजाम कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा, NTPC और निजी बिजली संयंत्रों के कर्मचारियों को थर्मल प्लांट चलाने के लिए कहा गया है, जबकि सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम जैसे विभागों में बिजली विंग के कर्मचारी बिजली वितरण का ध्यान रखेंगे और इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्र भी योगदान देंगे।

उधर, संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया कि यूपीपीसीएल के शीर्ष प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण कर्मचारियों पर यह हड़ताल थोपी गई है, क्योंकि सरकार तीन दिसंबर के समझौते को लागू नहीं कर सकी।” मंत्री हमें 3 दिसंबर के समझौते को लागू करने का आश्वासन दिए बिना हड़ताल की योजना को स्थगित करने के लिए कह रहा था।” उन्होंने कहा, “हमारी हड़ताल केवल 72 घंटों के लिए है और सरकार इस अवधि का उपयोग समझौते को लागू करने के लिए कर सकती है।”

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