लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लोकभवन में भूजल सप्ताह के समापन समारोह में कहा कि जल है तो जीवन है। भारतीय मनीषा इस बात को सदैव मानती है। हम जल को जीवन का पर्याय मानते हैं। सृजन के लिए यह आवश्यक है। हमें पानी की कीमत को समझना होगा। इसे बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम से लेकर अन्य कदम उठाने होंगे। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आज जहां भी आप पहाड़ से निकलने वाली नदी देखते हैं, अगर इसके किनारे कोई शहर या औद्योगिक नगर नहीं है, तो इसका पानी नवंबर और दिसंबर में निरंतर बना रहता है। यह साफ हो जाता है। यदि किसी नदी के किनारे कोई शहर या बस्ती या औद्योगिक शहर है तो उसका पानी मार्च और अप्रैल में ही काला हो जाता है।
उन्होंने कहा कि हमें पानी की कीमत समझनी होगी। वर्षा जल संचयन इसी क्रम का एक हिस्सा है। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हर शहर-जनपद में एक अमृत सरोवर हो, यह इसी क्रम का हिस्सा है। यदि हमें प्राणियों को जीवित रखना है तो हमें सोचना होगा। जब प्रकृति की मार पड़ती है तो दुख होता है। पश्चिमी क्षेत्र में बाढ़ और पानी है। पूर्वी क्षेत्र में पानी का नामो-निशान नहीं है। इसलिए हमें सार्थक प्रयास करना होगा। भूजल सप्ताह इसी दिशा में काम करने के लिए है। हमारे तालाब इस दिशा में काम कर सकते हैं। इससे वर्षा जल संचयन किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि राज्य सरकार ने नियम बनाया है कि जल प्रदूषण पर जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ ही किसी भी नये सरकारी भवन के निर्माण में जल संचयन की व्यवस्था भी आवश्यक है। व्यापक जनजागरूकता एवं जनभागीदारी से कार्य आसान हो सकता है। एक समय विंध्य, बुन्देलखंड में लोग 05, 07 किलोमीटर दूर से सिर पर पानी लेकर आते थे। गंदे तालाबों से पानी की व्यवस्था करनी पड़ती थी। आज हर घर नल, हर घर जल योजना से बुन्देलखण्ड विंध्य क्षेत्र में स्वच्छ पेयजल का सपना साकार हो रहा है। आज उत्तर प्रदेश में विकास खण्ड नाजुक दौर की ओर जा रहे हैं। जल संरक्षण की आवश्यकता है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि कल से वृहद वृक्षारोपण अभियान चलेगा और इसके साथ ही स्वतंत्रता दिवस पर पुनः 05 करोड़ पौधे रोपित किये जायेंगे। हमें जल संरक्षण की दिशा में सोचना होगा। बरसात के मौसम में छत से पानी बर्बाद नहीं करना चाहिए। भूजल स्तर को बनाए रखना होगा। कैच द रेन कार्यक्रम इसी कार्यक्रम का एक हिस्सा है। हमें जल संरक्षण की तैयारी शुरू करनी होगी। अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे। पुराने तालाबों, पुराने कुओं को भी फिर से संरक्षित करना होगा। बरगद-पीपल जैसे वृक्ष लगाने होंगे। जन आंदोलन खड़ा करना होगा। तभी हम और हमारा कार्यक्रम सफल होगा। कार्यक्रम में सरकार के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, राज्य मंत्री दिनेश खटीक, जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले लोग और प्रगतिशील किसान मौजूद थे।
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