Tuesday, November 26, 2024
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प्रकृति की गोद में बसा ‘गोकर्ण’, दक्षिण भारत की काशी के नाम से है मशहूर

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प्राकृतिक खूबसूरती से परिपूर्ण, समुद्र तटों से घिरा मेंगलोर से 231 किलोमीटर दूर गोकर्ण शहर (Gokarna) हिंदुओं के आस्था का केंद्र है। अगर आप शहर की भागदौड़ से दूर कुछ समय प्रकृति की गोद में बिताना चाहते हैं तो यह शहर आपका इंतजार कर रहा है।

‘गोकर्ण’ (Gokarna) अर्थात ‘गाय का कान’। मान्यता है कि सृष्टि के रचनाकार भगवान शिव ने यहीं पर गाय के कान से जन्म लिया था। जिस कारण इस स्थान का नाम गोकर्ण पड़ा। भगवान शिव यहां कण-कण में विराजमान हैं। यहां लगभग 1500 साल पुराना महाबलेश्वर मंदिर (Mahabaleshwar temple) है, जहां दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इनके अलावा यहां कोटि तीर्थ, वेंकटरमण मंदिर, वारादराज मंदिर, भद्रकाली मंदिर और महागणपति मंदिर भी आस्था के केंद्र हैं। यहां मुरुदेश्वर मंदिर भी है, जहां 123 फुट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है।

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दक्षिण की काशी

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महाबलेश्वर मंदिर के लिए यहां एक कथा प्रचलित है। मान्यता है कि दशानन रावण ने एक बार भगवान शिव को प्रसन्न कर शिवलिंग प्राप्त किया था। वह उस शिवलिंग को अपने साथ लंका ले जाना चाहता था। लेकिन, भगवान ने लीला रचकर उस शिवलिंग को इसी स्थान पर स्थापित करवा दिया था। यह शिवलिंग 6 फीट लंबा है और इसे आत्मालिंग के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर का वर्णन हिंदू धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है। इस पवित्र स्थान के महत्व को देखते हुए इसे दक्षिण की काशी भी कहा जाता है।

गोकर्ण में पर्यटन स्थल

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अगर आप ऐसी जगह जाना चाहते हैं, जहां शांति और सुकून मिले तो आपको एक बार गोकर्ण जरूर आना चाहिए। यहां कई समुद्र तट हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा 16वीं सदी में निर्मित ऐतिहासिक मिर्जन किला, याना गुफा भी मुख्य पर्यटक स्थल हैं।

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