उत्तराखंड

महाकुंभ का पहला शाही स्नान आज, धर्माचार्यों के पहले स्नान करने की है परंपरा

हरिद्वारः महाकुंभ का पहला शाही स्नान सोमवार (12 अप्रैल) को होगा। यह संयोग है कि 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या भी है। कुंभ मेला प्रशासन और जिला प्रशासन शाही स्नान की तैयारियों पर 13 अखाड़ों के प्रमुखों और संन्यासियों से चर्चा कर चुका है। विशेष नक्षत्रों में पड़ रहे इस पर्व का विशेष महत्व है।

माना जाता है कि समुद्र मंथन के बाद पृथ्वी पर जिन चार जगहों पर अमृत की बूंदें गिरी थीं, उनमें से एक स्थान हरिद्वार भी है। हरिद्वार में गंगा तट पर हर 12 वर्ष में कुंभ का आयोजन होता है। शाही स्नान के लिए धर्माचार्यों के क्रम तय हो चुके हैं। शाही स्नान अखाड़ों के साधु -संतों के लिए काफी खास होता है।

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अखाड़े अपनी व्यवस्था के अनुसार खास क्रम में गंगा में डुबकी लगाते हैं। ऐसी मान्यता है कि कुंभ के दौरान रजवाड़े साधु-संतों को राजशाही ठाट-बाट के साथ स्नान के लिए ले जाते थे। तभी से यह प्रथा है। इसीलिए कुंभ के दौरान होने वाले स्नान को शाही स्नान कहा जाता है। इनमें सबसे पहले धर्माचार्यों के स्नान करने की परंपरा है।