लखनऊः इस बार होली के थोक बाजारों में चाइना के सामान ढूंढे नहीं मिल रहे। देसी सामानों ने बाजार पर पूरी तरह कब्जा जमा लिया है। व्यापारियों के पास पिछले साल का बचा-खुचा माल ही चाइना का है। चीन से तनाव के चलते पिछले दो-तीन महीनों से चीनी माल बाजार में नहीं आ रहा है, ऐसे में इस बार होली पर स्वदेशी सामानों का जलवा देखने को मिलेगा।
होली की आमद पर दुकानों में दीपावली के पसंदीदा पटाखे मसलन चटाई, स्मोक गन, बम, अनार, होली धमाल जैसे धमाके वाले आइटम लोगों की पंसद बने चुके है। रंगों की दुकान में आने पर एकबारगी लगता है कि कहीं पटाखों की दुकान पर तो नहीं आ गए, लेकिन हकीकत में यह पटाखों की शक्ल में होली के रंग हैं। इन्हें जलाने पर यह बारूद की गंध और आवाज नहीं, बल्कि वातावरण को रंगीन और खुशबूदार बनाने वाले रंग और गुलाल का धुआं बिखरता है।
पिचकारियों में भी मेड इन इंडिया का जलवा
ड्रैगन पाइप और पिट्ठू सरीखी चीनी पिचकारियां इस बार बाजार से गायब हैं। मेक इन इंडिया का जलवा बाजार में साफ दिख रहा है। चाइना का सामान बाजार में न होने से लोगों की जेब तो ढीली हो रही है, लेकिन लोग इसमें ज्यादा हिचक नहीं रहे हैं। रकाबगंज चौराहे पर स्थित रस्तोगी इंटरप्राइजेज के मालिक संजय रस्तोगी ने बताया कि अभी तो बाजार 50 फीसदी भी नहीं उठा है।
भारतीय आइटमों का जोर है। जिसकी वजह से कस्टमर को कीमत भी ज्यादा देनी पड़ रही है। सादे गुलाल की कीमत 10 रूपये प्रति किलो से लेकर 80 रू प्रति किलो तक है, लेकिन इस बार हर्बल और आर्गेनिक गुलाल की मांग कुछ ज्यादा ही है। हर्बल व आर्गेनिक गुलाल 120 रूपये प्रति किलो से लेकर 200 रूपये प्रति किलो की रेंज में उपलब्ध है। हर्बल और आर्गेनिक के अलावा आरारोट के गुलाल की मांग भी अधिक होती है। इस बार होली के पटाखों की मांग भी जबरदस्त है। कई वैराइटियों में मौजूद ये पटाखे 35 रूपये से लेकर 150 रूपये तक के हैं। होली पर खेले जाने वाले गीले रंग की डिब्बी 3 रूपये से लेकर 100 रूपये तक की रेंज में उपलब्ध है।
रंगों के पटाखे व अन्य सामानों की कीमत
रंगों के भरपूर चटाई 330 रूपये (10 पीस)
फॉग रॉड 100 रूपये (पांच पीस)
अनार 150 रूपये (तीन पीस)
मास्क 36 रूपये (दर्जन)
वाटर गन 30 रूपये से लेकर 400 रूपये
मुखौटे 3.5 रूपये से लेकर 40 रूपये
पाइप वाल पिचकारी 30 रूपये से लेकर 300 रूपये
टोपियां 10 रूपये से लेकर 30-40 रूपये
होली पर इस बार महंगाई का रंग
इस बार होली पर महंगाई का रंग भी खूब चढ़ा हुआ है। रंगों के व्यापारियों के मुताबिक, कोरोना का संक्रमण बढ़ने व सीमा पर हुए तनाव के कारण दो महीने से चीनी सामान नहीं आ रहे हैं। इस कारण चाइनीज पिचकारी, मुखौटे और गुब्बारे सहित कई सामान का स्टॉक बाजार में नहीं है। इनकी जगह देश में बने सामान बेचे जा रहे हैं। ये सामान चाइनीज के मुकाबले 15 से 25 फीसदी तक महंगे हैं।
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होली पर कोरोना की छाया
राजधानी लखनऊ के बाजारों में होली की आहट सुनाई देने लगी है, लेकिन इस आहट पर कोरोना के बढ़ते मामले और लॉकडाउन का शोर भारी पड़ रहा है। राजधानी का व्यापारी वर्ग कोरोना के बढ़ते मामलों से दहशत में है कि कहीं फिर लॉकडाउन की घोषणा न हो जाए। बाहर का व्यापारी यहां आने में कतरा रहा है। यहां का व्यापारी भी ज्यादा मात्रा में माल मंगाकर पूंजी फंसाने से बच रहा है। लखनऊ के बाजारों में रंग यहियागंज से ही पहुंचता है। यहियागंज से ही फुटकर व्यापारी माल खरीदकर लखनऊ के बाजारों को सजाते है। रकाबगंज चौराहे पर रंगों की दुकान सजाकर बैठे व्यापारियों का कहना है पिछले साल कोरोना की छाया जो होली पर पड़ी थी, वह ग्रहण अभी तक कायम है। अभी तक रंगों का बाजार तेजी नहीं पकड़ सका है। इक्का-दुक्का ग्राहक ही माल खरीद रहे हैं।