खूंटीः कहा जाता है कि विकलांगता सिर्फ नकारात्मक सोच के अलावा कुछ नहीं है। मन में कुछ करने की तमन्ना हो, तो अपंगता कभी अभिशाप नहीं बनती। आज भी कई दिव्यांग जन हैं, जो मजे की जिंदगी जी रहे हैं और साबित कर रहे हैं कि सोच सकारात्मक हो, तो अपंगता कभी सफलता में बाधक नहीं बन सकती। इन्हीं दिव्यांग व्यक्तियों में एक है, झारखंड के खूंटी जिले करने वाले किसान की। तोरपा प्रखंड के टुराटोली गांव रहने वाले 36 वर्षीय किसान भाकु दोनों पैरों से लाचार है। वह चल नहीं सकता। हर काम वह बैठकर ही करता है। इसके बावजूद वह एक सफल किसान है। उसके घर में सिर्फ दो प्राणी हैं, भाकु और उसकी पत्नी। उनके बच्चे नहीं हैं।
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भाकु का अधिकांश समय खेतों में ही बीतता है। घर से कुछ दूरी पर खेत है। सुबह नाश्ते के बाद वह खेतों में पहुंच जाता है और खेती-बारी में लग जाता है। इस समय उसके खेतों में फूलगोभी, पत्ता गोभी, बैगन, मटर आदि की फसल लगायी जा रही है। दोपहर का खाना पत्नी खेत में ही ले आती है। भाकु बताता है कि वह जन्म से ही दिव्यांग है। कमजोर पैरों के कारण वह चल नहीं सकता। इसलिए स्कूल नहीं जा सका। भाकु बताता है कि जो कुछ भी उसने पढ़ना-लिखना सीखा है, वह अपनी मेहनत के बल पर।
लोगों के लिए बना नज़ीर
वह कहता है कि सब्जी की खेती से उसे अच्छी कमाई हो जाती है। तैयार फसल को पत्नी बाजार में बेच आती है। कभी-कभी व्यापारी खेत से ही फसल खरीद कर ले जाते हैं। वह कहता है कि सरकार की ओर से उसे पेंशन के साथ मुफ्त राशन, धोती-साड़ी भी मिल जाती है। गौरतलब है कि झारखंड के खूँटी ज़िले के रहने वाले एक दिव्यांग किसान ने अपने जोश और जज़्बे से खेती किसानी के काम में अच्छे-अच्छों को पीछे छोड़ दिया है। बेरोज़गारी से हताश होने वाले लोगों के लिए यह किसान आज नज़ीर बन गया है।
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