UP News: मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में ट्रांसफार्मर बदलने की धीमी रफ्तार कहीं उपभोक्ताओं पर भारी न पड़ जाए। इसकी वजह यह है आगामी गर्मियों में बेहतर विद्युत आपूर्ति के लिए ट्रांसफार्मर बदलने का जो लक्ष्य तय किया गया था, उसके नजदीक भी नहीं पहुंचा जा सका है।
दरअसल, यूपीपीसीएल प्रबंधन ने फरवरी माह में जोनवार ट्रांसफार्मर बदलने का लक्ष्य तय किया था। इसके तहत मध्यांचल डिस्कॉम में फरवरी माह में 2.15 लाख ट्रांसफार्मर बदले जाने थे। फरवरी माह में लक्ष्य के सापेक्ष मध्यांचल में सिर्फ 19,300 ट्रांसफार्मर बदले जा सके। ऐसे में अब ट्रांसफार्मर बदलने की गई लापरवाही को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। ट्रांसफार्मर बदलने के मामले में मध्यांचल फिसड्डी साबित हुआ है। यहां पर लक्ष्य के सापेक्ष सिर्फ नौ प्रतिशत ही ट्रांसफार्मर बदले जा सके हैं। यही नहीं प्रदेश में ट्रांसफार्मर बदलने का जो लक्ष्य तय किया गया था, उसके सापेक्ष भी सिर्फ 40 प्रतिशत ट्रांसफार्मर बदले जा सके हैं।
ऐसे में गर्मी के समय बिजली उपभोक्ताओं की मुसीबत बढ़ेगी, यह तय माना जा रहा है। ट्रांसफार्मर बदलने के मामले में पश्चिमांचल पहले नंबर पर है, जबकि पूर्वांचल व दक्षिणांचल की स्थिति भी बेहतर है। अनुरक्षण माह की रिपोर्ट आने के बाद यह बात सामने आई है। गौरतलब है कि पिछली गर्मी में बिजली की अधिकतम मांग 28,284 मेगावाट तक पहुंच गई थी, वहीं इस वर्ष बिजली की डिमांड 30,500 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। ऐसे में भीषण गर्मी में प्रदेश की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था चुस्त-दुरूस्त रखने के लिए बीते फरवरी माह को अनुरक्षण माह घोषित किया गया था। इसके तहत ट्रांसफार्मर व तार बदलने समेत अन्य अनुरक्षण के कार्य कराए जाने के लक्ष्य तय किए गए थे।
हालांकि, माह पूरा होने के बाद जब कार्यों के स्थिति की जांच की गई तो हालात चिंताजनक पाए गए। मध्यांचल डिस्कॉम को 2,15,268 ट्रांसफार्मर बदलने थे, लेकिन यहां पर सिर्फ 19,322 ट्रांसफार्मर ही बदले गए। इसी प्रकार पश्चिमांचल में लक्ष्य के सापेक्ष 86 प्रतिशत, दक्षिणांचल में 75 प्रतिशत, पूर्वांचल में 72 प्रतिशत और केस्को में लक्ष्य के सापेक्ष 65 प्रतिशत ट्रांसफार्मर बदले गए। अनुरक्षण माह की रिपोर्ट को लेकर यूपीपीसीएल प्रबंधन कार्य न हो पाने के कारणों की जांच करा रहा है।
इसलिए था ट्रांसफार्मरों को बदलने पर जोर
प्रदेश में कुल उपभोक्ताओं की संख्या 3.30 करोड़ है। बीते वर्ष अप्रैल से जुलाई माह के बीच प्रत्येक दिन करीब 800 से 1,000 की संख्या में ट्रांसफार्मर फुंके थे। ट्रांसफार्मरों के फुंकने से जहां एक ओर यूपीपीसीएल को आर्थिक क्षति हुई थी, तो दूसरी ओर उपभोक्ताओं को भी बिजली संकट का सामना करना पड़ा था। औसत विद्युत आपूर्ति की दर घटने से इसका असर प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत पर पड़ता है।
मौजूदा समय में प्रदेश की ऊर्जा खपत प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 629 से 650 प्रति यूनिट के बीच है। यही कारण है कि ट्रांसफार्मर फुंकने पर इसे 24 घंटे के भीतर बदलना अनिवार्य किया गया है। बीते वर्ष ट्रांसफार्मरों के बार-बार फुंकने और बदलने पर देरी होने के चलते दर्जर अधीक्षण अभियंता व सहायक अभियंताओं का निलंबन व अन्य कार्रवाई की गई थी।
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