पटनाः बिहार में पश्चिमी चंपारण जिले के नरकटियागंज अनुमंडल अस्पताल और जीएमसीएच अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आई है, जहां ऑक्सीजन के अभाव में निजी अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया। जिसके बाद नवजात को लेकर उसके पिता नरकटियागंज अनुमंडल अस्पताल और जीएमसीएच का चक्कर काटते रहे। काफी मशक्कत के बाद नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल में उसे भर्ती तो कर लिया गया और दांत के चिकित्सक ने बच्चे को ऑक्सीजन सिलिंडर तो दे दिया लेकिन वे कोई अन्य उपचार करने में असमर्थ हैं।
मिली जानकारी के अनुसार चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर के अभाव में खतरा बना हुआ है, दरअसल, नरकटियागंज के धुमनगर पंचायत वार्ड-4 निवासी जफरुद्दीन अली के घर दो दिन पहले बच्चे का जन्म हुआ। नवजात को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिसके बाद ऑक्सीजन के अभाव में निजी नर्सिंग होम ने नवजात को इलाज के लिए कहीं और ले जाने के लिए कहा। नवजात के पिता जब उसे लेकर नरकटियागंज अनुमंडल अस्पताल पहुंचे, तो वहां से उन्हें जीएमसीएच रेफर कर दिया गया, लेकिन जीएमसीएज प्रशासन ने भी कोविड अस्पताल होने का हवाला देते हुए बच्चे को भर्ती करने से मना कर दिया। वहां से उसे फिर से अनुमंडलीय अस्पताल भेज दिया गया।
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इस तरह से नवजात को लेकर उसके पिता भटकते रहे और अंत में अनुमंडलीय अस्पताल में ही बिना चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर के अभाव में बच्चे का इलाज चल रहा है। नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल के दंत चिकित्सक लालबाबू ने बताया कि यहां चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है। नवजात को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा तो गया है, लेकिन दवाओं के बारे में पूरी जानकारी हमें नहीं है, इसके बाद स्वास्थ्य विभाग सवालों के घेरे में आ गया है।