खूंटी: खूंटी की प्रसिद्ध और धार्मिक महत्व वाली बनई नदी के अस्तित्व को ही बालू माफिया ने लगभग खत्म कर दिया है। जिस बनई नदी में सालों भर निर्मल पानी बहता रहता था, वही नदी अक्टूबर महीने में ही सूख जा रही है। रेत के अवैध और अंधाधुंध उत्खनन ने नदी को ही समाप्त कर दिया है। बनई नदी अब महज एक नाला बनकर रह गई है, जहां हर ओर घास और झाड़ियां उग आई हैं।
सावन माह में लाखों श्रद्धालु इसी बनई नदी से जल लेकर बाबा आम्रेश्वर धाम में भोलनाथ का अभिषेक करते हैं, पर स्थिति ऐसी हो गई है कि नदी में पानी ही नहीं रहता। प्रकृति ने हमें नदी दी है पानी के लिए, लेकिन माफिया ने उसे रेत उगाहने का जरिया बना लिया है और उसके लिए नदियों के अस्तित्व को खत्म करने से भी परहेज नहीं किया। बात सिर्फ बनई नदी की नहीं है। खूंटी जिले की कारो, छाता, चेंगरझोर, छोपी सहित कई ऐसी नदियां हैं, जो लगातार अपना अस्तित्व खोती जा रही हैं। भवन निर्माण से लेकर पुल पुलियों के लिए बालू की जरूरत है, लेकिन नदियों से रेत का अंधाधुंध खनन पर्यावरणीय त्रासदी है, जिसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं है।
कई वर्षों से नहीं हुई है बालू घाटों की बंदोबस्ती –
खूंटी जिले में कई वर्षों से बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं हुई है। यही कारण है कि निर्माण कार्यों की जरूरतों को पूरा करने लिए लोग अवैध बालू खरीदने को विवश हैं। ऐसा नहीं है कि बालू तस्करी की जानकारी स्थानीय प्रशासन या खनन और वन विभाग को नहीं है। यदा कदा रेत माफिया की करतूतों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करता भी है, पर महज दिखावे के लिए। स्थानीय लोगों का कहना है कि बालू तस्करी की अवैध कमाई में स्थानीय प्रशासन से लेकर विभाग के अधिकारियों को हिस्सा निश्चित होता है।
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बालू का अवैध धंधा करने वाले स्वीकार करते हैं कि उन्हें हर महीने अधिकारियों को चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। यदि चढ़ावा देने में विलंब हो जाता है, तो बालू माफिया के वाहनों को जब्त कर उनके खिलाफ मामला दर्ज कर दिया जाता है। जानकारों का कहना है कि जब तक स्थानीय लोग बालू की तस्करी के खिलाफ जागरूक नहीं होंगे, तब तक इस अवैध कारोबार पर रोक नहीं लग सकती। लोगों का कहना है कि जल, जंगल और जमीन की बात करने वाले आदिवासी संगठनों और ग्रामसभा को भी रेत के इस अवैध खेल खिलाफ कभी आवाज नहीं उठाते।
प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है : खनन पदाधिकारी
बालू के अवैध उत्खनन के संबंध में पूछे जाने पर जिला खनन पदाधिकारी नदीम शफी कहते हैं कि प्रशासन द्वारा लगातार बालू माफिया के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जाती है। अब तक सैकड़ों वाहनों का जब्त कर संबंधित लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि खूंटी जिले के खनन विभाग में कर्मचारियों और संसाधनों की कमी है। इसके कारण विभाग की कार्य क्षमता प्रभावित होती है।
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