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लखनऊ में दूध की पूर्ति कर रहीं भिंड की भैंस, बनीं पशुपालकों की पहली पसंद

लखनऊः नवाबों के शहर में पशुओं की कमी हो गई है। इसके बाद भी पुराने शहर को छोड़ दें तो नई बस्तियों में दूध वाले पशु पाले जा रहे हैं। इनसे ही राजधानी में दूध की किल्लत को दूर किया जा रहा है। इनमें भिंड की भैंसें ज्यादा पसंद की जा रही हैं। पशुपालकों का मानना है कि भिंड की भैंस दुधारू होती हैं। पुराने लखनऊ के घोसी परिवार भी शहर से बाहर दूध का व्यवसाय कर रहे हैं। इनके पास भी
ज्यादा भैंसें भिंड की ही हैं।

बेहतर दूध उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। भैंस पालन हमेशा से ही डेयरी उद्योग से जुड़ा रहा है। एक अनुमान है कि लखनऊ में 40 प्रतिशत दूध की आपूर्ति यहीं के लोग भैंस पालकर करते हैं। इसके लिए माना जा रहा है कि भैंस अच्छी नस्ल की होगी तो बढ़िया सप्लाई होगी। इनसे दूध उत्पादन बढ़ जाता है। पशुपालकों को भैंस पालन के लिए मुर्रा नस्ल की भैंस का पालन करना चाहिए। यह दूध का सबसे अधिक उत्पादन करने वाली भैंस की नस्ल है। इस प्रजाति की भैंसे देशी और अन्य प्रजाति की भैंसों से दोगुना दूध देती है। औसत दूध का उत्पादन प्रति भैंस करीब 15 लीटर होता है। व्यापारियों के लिए यह इसलिए खास होती हैं, क्योंकि इनके दूध में करीब 7 फीसदी फैट होता है।

ऐसे करें नस्ल की पहचान

मुर्रा भैंस के सींग मुड़े हुए होते हैं। यह नस्ल किसी प्रकार की जलवायु में भी रहकर अच्छा दूध देती हैं। दूध का व्यापार करने वालों के लिए इन्हें पालने में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।

पंजाब और हरियाणा है इनका गढ़

मुर्रा भैंस ज्यादातर पंजाब और हरियाणा राज्यों में पाई जाती हैं। इनमें गुणवत्ता के कारण अब यह लखनऊ में भी पसंद की जा रही हैं। यही नहीं दूसरे देशों में भी इनको पाला जाने लगा है।

दाना के लिए दिखाती हैं नखरे

यह भैंस हरा चारा से ज्यादा दाना के लिए बेताब रहती हैं। इसलिए किसान इनको दिन में चराकर बहलाते रहते हैं। पशुओं को चराना भी काफी फायदेमंद होता है। भैंस की अगर चराई अच्छी नहीं है तो पशुओं के दूध उत्पादन में बहुत फर्क पड़ता है। पूरे दिन में इन भैंस को लगभग 3 किलोग्राम दाना चाहिए होता है। यदि इनको हरा चारा मिल रहा है तो इसकी मात्रा एक किलो कम कर सकते हैं। भूसा, खली, नमक, कना आदि इनको संतुलित आहार में दिया जाना चाहिए।

मच्छर और सीलन से रखें दूर

अच्छे पशुपालक इस बात का बराबर ध्यान रखते हैं कि जहां पर वह इन दूध वाले जानवरों को रखते हैं, वहां पर मच्छर और सीलन नहीं रहती हैं। बराबर सफाई की जाती है। गर्मी में इनको हवादार स्थान दिया जाना आवश्यक होता है। इनमें होने वाली बीमारियों का गंभीरता से ध्यान रखना जरूरी है। एक भैंस की कीमत एक लाख रुपये तक सामान्य तरीके से होती है, लिहाजा किसी प्रकार की कमी नुकसानदेय है।

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