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स्वाति मालीवाल ने बोला विदेश मंत्रालय पर हमला, कहा- सुषमा होती तो ऐसा कभी न होता

swati maliwal   नई दिल्लीः दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को अमेरिका की मशहूर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने सालाना सम्मेलन में शामिल होने और संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था। स्वाति ने निमंत्रण मिलते ही 16 जनवरी को फाइल दिल्ली सरकार को भेज दी, जहां से मंत्री और मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के बाद फाइल एलजी को भेज दी गई। 18 जनवरी को मिली फाइल पर एलजी ऑफिस ने 8 फरवरी को अनुमति दे दी और स्वाति को विदेश मंत्रालय से अनुमति लेने को कहा। इसके बाद स्वाति ने 9 फरवरी को ही क्लीयरेंस के लिए विदेश मंत्रालय को आवेदन भेज दिया था। गौरतलब है कि स्वाति को 11 फरवरी को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में संबोधित करना है, हालांकि अभी तक उन्हें विदेश मंत्रालय से कोई जवाब नहीं मिला है और न ही कोई जवाब आया है। वहाँ फोन कॉल और ईमेल के लिए कोई प्रतिक्रिया। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी हर साल अपना वार्षिक सम्मेलन आयोजित करती है जिसमें देश-विदेश के कई बड़े नेता शिरकत करते हैं। स्वाति ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आज उन्हें पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कार्यशैली की याद आ रही है। स्वाति ने लिखा कि सुषमा हर भारतीय को अपना परिवार समझकर काम करती थीं, वह भी उन्हें अपनी बेटी की तरह मानती थीं। दुख की बात है कि आज का विदेश मंत्रालय उनकी फाइल को ऐसे ही दबा कर बैठा है। सुषमा होती तो ऐसा कभी नहीं होता। स्वाति ने यह भी कहा, 'सुषमा जी विदेश में बैठे भारतीयों को ट्वीट कर मदद करती थीं, आज मशहूर हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में मुझे अपने महान देश के बारे में बोलने का मौका मिला, इसलिए विदेश मंत्रालय मेरी फाइल का जवाब नहीं दे रहा है। ऐसा क्यों?" दिल्ली महिला आयोग कार्यालय ने फोन और ईमेल के माध्यम से विदेश मंत्रालय से संपर्क करने की कई बार कोशिश की लेकिन विदेश मंत्रालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। यह भी पढ़ेंः-CM योगी का ऐलान, यूपी में माफियाओं से छीनी गई जमीन पर बनेगें गरीबों के आशियाने करीब 10 दिन पहले स्वाति को विदेश मंत्रालय द्वारा दुबई में आयोजित ऐसे ही एक कार्यक्रम में बोलने की इजाजत नहीं दी गई थी। कई दिनों तक लगातार फॉलोअप करने के बाद भी विदेश मंत्रालय ने समय पर अनुमति नहीं दी। विदेश मंत्रालय की इस लालफीताशाही और ढुलमुल रवैये पर चिंता व्यक्त करते हुए स्वाति ने पूछा कि अगर विदेश मंत्रालय संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की फाइलों पर हस्ताक्षर करना बंद कर दे तो आम आदमी का क्या हश्र होगा। दिल्ली महिला आयोग आने वाले दिनों में इस मामले को कोर्ट में भी ले जाने की सोच रहा है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)