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सचिवालय अभियान : शुभेंदु ने आईपीएस अधिकारियों पर लगाए गंभीर आरोप

कोलकाता: मंगलवार को राज्य सचिवालय की ओर सैकड़ों कार्यकर्ताओं की रैली लेकर मार्च कर रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को कोलकाता और हावड़ा को जोड़ने वाले द्वितीय हुगली ब्रिज के पास हिरासत में ले लिया गया। नवान्न से कुछ दूरी पर स्थित इस ब्रिज पर शुभेंदु को हिरासत में लेने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस की टीम मौजूद थी। यहां अतिरिक्त संख्या में महिला पुलिसकर्मियों की मौजूदगी थी जिसे लेकर शुभेंदु ने गंभीर आरोप लगाए हैं।

उनका एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें सुना जा सकता है कि उन्हें प्रिजन वैन में चढ़ने के लिए धक्का दे रही महिला पुलिसकर्मियों पर वह चीख रहे हैं और कह रहे हैं कि आप महिला हैं, मेरे शरीर को मत छुइए। हालांकि बड़ी संख्या में मौजूद पुलिसकर्मी शुभेंदु अधिकारी और उनके साथ मौजूद सांसद लॉकेट चटर्जी को गिरफ्तार कर कोलकाता में स्थित लाल बाजार पुलिस मुख्यालय ले गए हैं। यहां मीडिया से बातचीत में अधिकारी ने तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के साथ कोलकाता पुलिस ने जैसा वर्ताव किया है वैसा कहीं नहीं किया जाता। प्रताड़ित करने के लिए महिला पुलिस कर्मियों की नियुक्ति की गई थी जो तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के निर्देश पर काम कर रही थीं। वे अधिकारी हैं ज्ञानवंत सिंह, आकाश मगरिया और सूर्य प्रताप यादव। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ कानूनी सहारा लेंगे।

सचिवालय अभियान से पहले तीन दिनों तक अधिकारी ने पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर में घूम घूमकर जनसभाएं की थी और इस अभियान में शामिल होने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं का आह्वान किया था। आज जब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है तो उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने अपनी पूरी पुलिस फोर्स को भाजपा को रोकने के लिए लगा दी है लेकिन रोक नहीं पाएंगे। जगह-जगह भाजपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस पर पथराव और ईट पत्थर फेंकने के लग रहे आरोपों पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं अपने कार्यकर्ताओं से कहूंगा कि किसी भी तरह के उकसावे में ना फंसे और शांतिपूर्वक तरीके से विरोध प्रदर्शन करें।

तृणमूल का कटाक्ष

शुभेंदु अधिकारी के आरोपों पर ममता कैबिनेट में मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष जानबूझकर ऐसे बहाने बना रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि बंगाल में अब उनकी पार्टी का कोई जनाधार नहीं रह गया है। भाजपा में केवल नेता रह गए हैं कार्यकर्ता नहीं हैं इसलिए बिना कार्यकर्ता के कोई भी पार्टी जनाधार हासिल नहीं कर सकती। हकीकत यही है कि बंगाल में भाजपा केवल केंद्रीय एजेंसियों के सहारे पर सांस ले रही है।

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