Tuesday, March 11, 2025
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Homeउत्तर प्रदेशनिराश दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण बनी Surrogacy

निराश दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण बनी Surrogacy

लखनऊः एक दम्पत्ति के लिए सरोगेसी (Surrogacy) सिर्फ एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं, बल्कि उनके टूटे हुए सपनों को फिर से जीने की एक उम्मीद है। जानकीपुरम के इस दम्पत्ति के जीवन में उस समय अंधेरा छा गया, जब उनके इकलौते बेटे ने कुछ समय पहले आत्महत्या कर ली। यह हादसा उनके जीवन को गहरे दुख और शून्यता से भर गया। लेकिन अब, सरोगेसी के जरिए उनके जीवन में एक नई शुरुआत की संभावना दिखाई दे रही है।

लखनऊ का पहला Surrogacy मामला

इस दम्पत्ति की पत्नी को लंबे समय से गर्भधारण में समस्या थी। बार-बार गर्भपात होने और उम्र बढ़ने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें प्राकृतिक रूप से मां बनने में असमर्थ बताया। बेटे की मौत के बाद उनकी जिंदगी और भी अधिक मुश्किल हो गई लेकिन अपने खोए हुए बेटे की यादों और मातृत्व के अधूरे सपने ने उन्हें सरोगेसी का सहारा लेने के लिए प्रेरित किया। सरोगेसी के लिए उन्होंने एक ऐसी महिला का चयन किया है, जो पहले से दो बच्चों की मां है। यह महिला उनकी उम्मीदों को साकार करने में मदद करेगी। सरोगेट मदर बनने के लिए उसने अपनी सहमति दी है और दम्पत्ति ने उसकी सेहत और देखभाल की पूरी जिम्मेदारी ली है। सरोगेसी के लिए सीएमओ कार्यालय से अनुमति प्राप्त हो चुकी है।

डॉक्टरों की टीम द्वारा जरूरी मेडिकल जांचों के बाद इसे हरी झंडी दी गई। अब अंतिम स्वीकृति डीएम और आईवीएफ सेंटर से मिलनी बाकी है। अगर प्रक्रिया सफल होती है, तो यह लखनऊ का पहला कानूनी सरोगेसी मामला होगा। इस दम्पत्ति के लिए यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी में उम्मीदों का नया सूरज उगाने जैसा है। बेटे को खोने का दर्द कभी पूरी तरह खत्म नहीं होगा, लेकिन सरोगेसी के जरिए उन्हें एक नया जीवन मिल सकता है। यह कहानी सिर्फ विज्ञान की प्रगति की नहीं, बल्कि उन इंसानी भावनाओं की है, जो हर कठिनाई के बाद भी आगे बढ़ने का रास्ता ढूंढ लेती हैं।

नए कानून में क्या हुए बदलाव

2021 में भारत सरकार ने सरोगेसी को नैतिक और पारदर्शी बनाने के लिए नया कानून लागू किया। यह कानून व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित कर केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है। इसके तहत सरोगेट मां को केवल चिकित्सा और बीमा का खर्च मिलता है, कोई मौद्रिक मुआवजा नहीं। इच्छुक माता-पिता को विवाहित होना चाहिए, महिला साथी की उम्र 23-50 और पुरुष की 26-55 वर्ष के बीच होनी चाहिए। उनके पास कोई जैविक संतान नहीं होनी चाहिए। सरोगेट मां की उम्र 25-35 वर्ष होनी चाहिए, वह विवाहित हो और कम से कम एक बच्चा हो।
सरोगेसी उन दंपत्तियों के लिए है, जो गर्भधारण में असमर्थ हैं या बार-बार गर्भपात का सामना कर चुके हैं।

मेडिकल और मनोवैज्ञानिक जांच आवश्यक है। कानूनी रूप से विवाह प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण और जिला बोर्ड की अनुमति अनिवार्य है। सरोगेट को तीन साल का बीमा और स्वास्थ्य की गारंटी मिलती है। प्रत्येक सरोगेट को केवल एक प्रयास की अनुमति है, जबकि इच्छुक दंपत्ति तीन प्रयास कर सकते हैं। भू्रण स्थानांतरण केवल एक बार किया जा सकता है। यह कानून नैतिकता, पारदर्शिता और सभी पक्षों की भलाई सुनिश्चित करता है। सरोगेसी कानून 2021, माता-पिता और सरोगेट दोनों के लिए समान सुरक्षा और नई उम्मीदों का मार्ग प्रशस्त करता है।

क्या है इसके नियम ?

– भारत के सरोगेसी कानून के दंड क्या हैं ?
भारत में सरोगेसी कानून का उल्लंघन करने वालों को भारी दंड का सामना करना पड़ सकता है, जैसे अधिकतम 10 लाख रुपये का जुर्माना और 10 साल तक की कैद।

– सरोगेसी का विकल्प चुनने वाले दम्पतियों के लिए पात्रता मानदंड क्या हैं ?

दंपत्ति को विवाहित होना चाहिए, जिसमें महिला साथी की आयु 23-50 वर्ष के बीच हो और पुरुष साथी की आयु 26-55 वर्ष के बीच हो। उनके पिछले विवाह या संबंधों से कोई बच्चा नहीं होना चाहिए। इसके अतिरिक्त दंपत्ति को सरोगेट के रूप में एक इच्छुक महिला को लाना चाहिए, जो विवाहित हो और जिसका कम से कम एक बच्चा हो।

– सरोगेसी का विकल्प चुनने वाली एकल महिलाओं पर क्या प्रतिबंध है ?

जो अविवाहित महिलाएं सरोगेसी का विकल्प चुनना चाहती हैं, उनकी आयु 35-45 वर्ष के बीच होनी चाहिए और वे विवाहित, तलाकशुदा या विधवा होनी चाहिए। यदि उनकी पिछली शादी या रिश्ते से कोई एक जीवित बच्चा है, तो उन्हें सरोगेसी का विकल्प चुनने की अनुमति नहीं है। – क्या सरोगेट मां को कोई आर्थिक मुआवजा मिल सकता है ?
नहीं, सरोगेट मां को उसकी सेवाओं के लिए मौद्रिक मुआवजा नहीं मिल सकता। हालांकि, इच्छुक माता-पिता उसे यात्रा, कपड़े, दवा, परीक्षण, जांच आदि के लिए मुआवजा दे सकते हैं।

– भारत में सरोगेसी के लिए कौन से दस्तावेज आवश्यक हैं ?

आवश्यक दस्तावेजों में विवाह का प्रमाण, आयु का प्रमाण पत्र, सरोगेट के लिए अनिवार्यता का प्रमाण पत्र, जिला बोर्ड से चिकित्सा संकेत का प्रमाण पत्र, बोर्ड से सरोगेट के लिए पात्रता का प्रमाण पत्र, जिला न्यायालय से चिकित्सा संकेत, तथा मनोविज्ञान और चिकित्सा योग्यता के लिए सरोगेट का बीमा/प्रमाण पत्र शामिल हैं।

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– भारत में सरोगेसी के लिए कौन पात्र है ?

जो दम्पति चिकित्सीय कारणों जैसे एमआरकेएच, यूनिकॉर्नुएट गर्भाशय, एकाधिक आईवीएफ विफलता, गर्भपात या किसी अन्य उचित चिकित्सीय कारण से स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं, वे सरोगेसी के लिए पात्र हैं।

– क्या सरोगेसी में भ्रूण दान की अनुमति है ?

नहीं, सरोगेसी में भ्रूण दान की अनुमति नहीं है। इच्छित माता-पिता जैविक माता-पिता (अंडाणु या शुक्राणु) होने चाहिए।

– सरोगेट के बीमा की अवधि क्या है ?

सरोगेट का बीमा उसे तीन वर्षों तक कवर करेगा।

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