कानपुर: पुष्य नक्षत्र के अवसर पर छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विज्ञान संकाय के अंतर्गत संचालित स्वास्थ्य केंद्र, राजकीय बाल गृह एवं आरोग्य क्लीनिक लाल बंगला में स्वर्णप्राशन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें करीब 110 बच्चों ने भाग लिया। कार्यक्रम में भाग लेने वाले इन बच्चों को निशुल्क स्वर्णप्राशन कराया गया। यह जानकारी सोमवार को आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक (Dr. Vandana Pathak) ने दी।
Dr. Vandana Pathak ने रोगों से बचाव पर दी विशेष सलाह
वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक ने अभिभावकों एवं उपस्थित लोगों को ऋतु के अनुसार आहार-विहार एवं रोगों से बचाव पर विशेष सलाह दी। उन्होंने कहा कि बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा गया है। इस समय प्रकृति में सहज आनंद होता है। इस दौरान ऋतु के अनुसार क्षेत्रीय फलों एवं सब्जियों का सेवन प्रमुखता से करना चाहिए।
स्वर्णप्राशन संस्कार के बारे में बताते हुए डॉ. पाठक ने कहा कि आयुर्वेद की यह पद्धति बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है। यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। जिन बच्चों का यह संस्कार नियमित रूप से होता है, उनमें अन्य बच्चों की तुलना में मौसम और पर्यावरण के प्रभाव से होने वाली परेशानियां कम देखी गई हैं।
माता-पिता के व्यवहार का बच्चों पर असर
स्वर्णप्राशन में प्रयुक्त औषधि स्वर्ण भस्म, वच, गिलोय, ब्राह्मी, गौ घृत, मधु आदि पदार्थों के मिश्रण से बनाई जाती है। उन्होंने कहा कि बच्चों को नियंत्रित करने के लिए डांटना, मारना आदि से भी उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए।
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उन्होंने मौसम के अनुसार फल और सब्जियों के सेवन के साथ ही साफ-सफाई और बच्चों के स्नेहपूर्वक पालन-पोषण पर विशेष जोर दिया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. मुनीश रस्तोगी, डॉ. दिग्विजय शर्मा, आकांक्षा बाजपेयी, हरीश शर्मा, अनुराग मिश्रा, पंकज कुमार आदि ने दीप प्रज्ज्वलन और धन्वंतरि पूजन के साथ शुभारंभ किया।
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