रायपुरः छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने प्रदेश की बदहाल हो चुकी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि डॉक्टर्स, दवाओं, स्वास्थ्य उपकरणों समेत दीगर स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से प्रदेश के अस्पताल जूझ रहे हैं और अब प्रदेश को कर्ज के दलदल में धकेल चुकी प्रदेश सरकार स्वास्थ्य कर्मचारियों को तीन माह से वेतन तक नहीं दे पा रही है। श्री चंदेल ने कहा कि ऐसी दशा में भी स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के दावे करना अजीब है।
तीन महीने पहले ही 300 स्टाफ नर्सों की गई थी भर्ती
प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री चंदेल ने कहा कि प्रदेश सरकार झूठे दावे और फर्जी आंकड़े पेश करके अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू बनने में लगी हुई है,जबकि जमीनी हकीकत यह है कि उसके पास न तो हर स्वास्थ्य केन्द्र के लिए पर्याप्त डॉक्टर्स हैं, न स्वास्थ्य उपकरण हैं, न दवाएँ हैं और न ही स्टाफ नर्सों को वेतन देने के लिए पैसे हैं। अकेले रायपुर जिले में तीन महीने पहले ही 300 स्टाफ नर्सों की भर्ती की गई थी, लेकिन अब तक उन्हें इन तीन महीनों के वेतन का एक रुपया भी इस प्रदेश सरकार ने नहीं दिया है। श्री चंदेल ने सवाल किया कि लाखों करोड़ रुपये का कर्ज लेकर भी अगर सरकार अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन तक नहीं दे पा रही है तो आखिर कर्ज ली गई राशि जा कहां रही है? क्या यह राशि राज्य के ‘सीएम’ (कलेक्शन मास्टर) तिजोरी 10, जनपथ, दिल्ली में भी जमा की जा रही है?
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प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री चंदेल ने प्रदेश में चल रही मोबाइल मेडिकल युनिट को भी घोटालों की एक नई शाखा बताया है। श्री चंदेल ने कहा कि इस योजना में शहरी युनिट में प्रति वाहन 7 लाख रुपये तक खर्च बताया जा रहा है, जबकि इसी योजना की ग्रामीण युनिट में यही खर्च 1.8 लाख रुपये तक बताया जा रहा है। वाहनों व उपकरणों के मामूली अंतर के अलावा बाकी सभी सुविधाएं एक जैसी होने के बाद भी खर्च की राशि में इतना भारी अंतर बड़ी गड़बड़ियों का संकेत कर रही है। श्री चंदेल ने कहा कि मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत मरीजों को कालातीत (एक्सपायरी) दवाएँ देने के मामले में दोषियों पर अब तक कार्रवाई नहीं होने पर आश्चर्य व्यक्त किया है।
18 करोड़ की पेट स्कैन मशीन 6 वर्षों से खा रही धूल
राज्य विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री चंदेल ने कहा कि जिस राज्य में स्वयं मुख्यमंत्री के पास अपने निर्वाचन क्षेत्र में भी पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं, वहां राजधानी में स्थित राज्य के सबसे बड़े अस्पताल अंबेडकर अस्पताल को 2000 रुपये में खरीदा गया।। कैंसर जांच के लिए 18 करोड़ पेट स्कैन (पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी) मशीन लगभग 6 साल से धूल फांक रही है और निजी अस्पतालों में कैंसर मरीजों को जांच कराने के लिए 25 हजार तक खर्च करने पड़ते हैं, 25 हजार बच्चे भी मर जाते हैं, उस राज्य की सरकार शेखी बघारने के बजाय झूठ बोल रही है, उनके सभी दावों के खोखलेपन पर शर्म आनी चाहिए।
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