Tuesday, October 22, 2024
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यूपी मदरसा बोर्ड पर Supreme Court ने सुरक्षित रखा फैसला, कही ये बात

नई दिल्लीः मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए Supreme Court ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। आज सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने कहा कि हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को स्वीकार कर लिया है और इसके खिलाफ कोई याचिका दाखिल नहीं करने का फैसला किया है।

17 लाख छात्रों का भविष्य होगा प्रभावित

यूपी सरकार ने कहा कि मदरसा एक्ट को पूरी तरह से निरस्त करने का फैसला सही नहीं है। इसके सिर्फ उन्हीं प्रावधानों की समीक्षा की जा सकती है जो मौलिक अधिकारों के खिलाफ जाते हैं। एक्ट में जरूरी बदलाव किए जा सकते हैं, लेकिन इसे पूरी तरह से निरस्त करना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट के इस आदेश से 17 लाख छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा।

हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने कानून की गलत व्याख्या की है। मदरसे की प्रबंधक अंजुम कादरी और अन्य की ओर से दाखिल इस याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले पर सवाल उठाए गए हैं और इसे मनमाना बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि इस फैसले से मदरसों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। इसलिए जब तक सुप्रीम कोर्ट मदरसा एक्ट की संवैधानिक वैधता पर फैसला नहीं ले लेता, तब तक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए।

दरअसल, 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ करार दिया था। यह कानून मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते पारित किया गया था। प्रदेश में मदरसों और उनमें पढ़ने वाले छात्रों की बड़ी संख्या को देखते हुए हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से कहा था कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को औपचारिक शिक्षा देने वाले दूसरे स्कूलों में शामिल किया जाए।

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इसके लिए जरूरत पड़ने पर नए स्कूल खोले जाएं। अक्टूबर 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार ने विदेशों से मदरसों को मिलने वाले फंडिंग की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में 8 हजार मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी। रिपोर्ट के अनुसार सीमावर्ती इलाकों में 80 लोगों को 100 करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी फंड मिला है।

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