नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में नोटबंदी से जुड़े कुछ लोगों की ओर से दाखिल व्यक्तिगत याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि वह 12 हफ्ते के भीतर कानून के मुताबिक मामलों का निपटारा करें।
कोर्ट ने कहा कि इस पर फैसला आ चुका है, इसलिए सभी व्यक्तिगत मामलों पर सुनवाई को बंद किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि आप अपने मुद्दे को लेकर संबंधित अथॉरिटी के पास जा सकते हैं। कोर्ट ने नोटबंदी के सरकार के फैसले से जुड़े व्यक्तिगत मामलों में याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की भी इजाजत दे दी।
याचिका एक विधवा महिला ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कोर्ट व्यक्तिगत समस्याओं पर विचार करे। याचिका में महिला ने मांग की थी कि उसके पति के बचत के पैसों को बदलने की अनुमति दे। याचिका में कहा गया था कि उसे इन पैसों का पता तब चला जब केंद्र सरकार की ओर से पुराने पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों के बदलने की समय सीमा खत्म हो गई थी। कोर्ट ने कहा कि आपकी परेशानी वास्तविक हो सकती है लेकिन जब संविधान बेंच ने नोटबंदी को सही करार दिया है, तो आपको राहत नहीं दे सकते हैं। इस पर सरकार फैसला करे।
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