शिमला: हिमाचल प्रदेश में सीमेंट प्लांट विवाद सुलझने के बाद अडाणी समूह एक बार फिर सुक्खू सरकार के निशाने पर है। राज्य के सेब बाहुल्य क्षेत्रों में अडाणी समूह द्वारा स्थापित सीए स्टोर पर सवाल उठने लगे हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस के एक विधायक ने अदानी समूह पर बिना एमओयू के सेब के सीए स्टोर खोलने का आरोप लगाया है। इस पर राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने जांच की घोषणा कर दी।
बागवानी एवं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मंगलवार को विधानसभा में कांग्रेस विधायक कुलदीप सिंह राठौर द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में ऐलान किया कि राज्य सरकार अडाणी ग्रुप द्वारा एपीएमसी एक्ट का उल्लंघन करने और एप्पल बेल्ट में सीए स्टोर स्थापित करने के मामले में कथित अनियमितताओं की जांच करेगी और यदि कुछ भी गलत पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
राजस्व मंत्री ने कहा कि प्रदेश में सीए स्टोर का निर्माण 2008 से 2011 के बीच राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा नाबार्ड के फंड के तहत किया गया था, इसके लिए 15.98 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी दी गई थी लेकिन इन्हें स्थापित करने को लेकर कोई एमओयू साइन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात का पता लगाएगी कि क्या वह कानूनी रूप से इतने सालों बाद उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए एमओयू हस्ताक्षरित कर सकती है या नहीं।
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इससे पूर्व कुलदीप सिंह राठौर ने अनुपूरक सवाल किया कि एप्पल बेल्ट में बिना एमओयू साइन किए सीए स्टोर अदानी ग्रुप में स्थापित कर दिए। उन्होंने कहा कि जब सेब सीजन शुरू होता है तो अडाणी समूह सीजन के बीचों-बीच अपनी सेब दरें घोषित करता है और फिर इससे सेब के दामों में अचानक गिर जाती है और बागवानों को भारी नुकसान होता है।
उन्होंने कहा कि अडाणी समूह ने वर्ष 2006 में बिथल में पहले सीए स्टोर बागवानों को बिचौलियों और कमीशन एजेंटों के शोषण से बचाने के लिए खोला था लेकिन वही अडाणी समूह कथित तौर पर बागवानों का शोषण कर रहा है। इसी मुद्दे पर विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि सेब की खरीद दरें उत्पादकों के साथ विचार विमर्श के बाद तय होनी चाहिए और दरों को निर्धारित करने के लिए कोई तंत्र होना चाहिए।
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