Assembly elections: झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण की मतदान प्रक्रिया आज शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई, जिसमें 64.86 फीसदी मतदान दर्ज किया गया, जो 2019 के विधानसभा चुनावों में 43 निर्वाचन क्षेत्रों में 63.9 फीसदी मतदान को पार कर गया। यह चुनावों में व्यापक उत्साह और बेहतर भागीदारी का संकेत है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ पहले नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान की स्थिति चुनौतीपूर्ण रही है।
Assembly elections: उग्रवादियों के गढ़ में हुआ शांतिपूर्ण मतदान
पहले चरण के मतदान में विभिन्न वर्गों के मतदाताओं ने भाग लिया, जिनमें पहली बार मतदान करने वाले, वृद्धजन, महिलाएँ, दिव्यांग और आदिवासी समुदाय के लोग प्रमुख रूप से शामिल थे। वे सभी धमकियों और बहिष्कार की अपीलों के बावजूद मतदान करने पहुंचे। उदाहरण के तौर पर, गढ़वा जिले के बुद्धा पहाड़ क्षेत्र, जिसे कभी उग्रवादियों का गढ़ माना जाता था, वहां हेसातु पोलिंग स्टेशन पर लंबी कतारें और शांतिपूर्ण मतदान ने लोकतंत्र के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाया। यह मतदान केंद्र पहली बार लोकसभा चुनाव 2024 के लिए स्थापित किया गया था, जिससे क्षेत्र के लोग अब अपने ही गांव में मतदान कर सके।
मतदान की प्रक्रिया सुबह 7 बजे शुरू हुई और बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्वक संपन्न हुई। 5 बजे तक 64.86 फीसदी मतदान हुआ, जो 2019 में इन 43 विधानसभा क्षेत्रों में हुए 63.9 फीसदी मतदान से अधिक था। कुछ मतदान केंद्रों पर मतदान अभी भी जारी था, क्योंकि मतदाता कतारों में खड़े थे और मतदान का समय समाप्त नहीं हुआ था।
31 विधानसभाओं में हुए उपचुनाव
साथ ही, आज 10 राज्यों के 31 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव भी हो रहे थे, साथ ही केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र में भी मतदान हुआ। सिक्किम के दो विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव बिना किसी मुकाबले के हो गए थे।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने 15,000 से अधिक मतदान केंद्रों पर स्थिति की निगरानी की। आयोग की सटीक योजना और लगातार निगरानी से चुनाव शांतिपूर्वक और व्यवस्थित तरीके से संपन्न हुए, और अभी तक किसी भी मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी है। सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गई थी, ताकि मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।
वहीं, पश्चिम सिंहभूम जिले के मनोहर्पुर और जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्रों में भी उग्रवादियों द्वारा बहिष्कार की अपीलों और धमकियों के बावजूद मतदाताओं ने मतदान किया। इन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों ने बहिष्कार पोस्टरों और रास्तों में अड़चन डालने की कोशिशों को नाकाम किया।
पोटका विधानसभा क्षेत्र के लखैदीह गांव जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इस बार मतदान केंद्रों की व्यवस्था की गई, जिससे आदिवासी मतदाता अपने ही गांव में मतदान कर सके। इससे पहले उन्हें मतदान के लिए अन्य गांवों तक जाना पड़ता था, जो मुख्य सड़क से लगभग 25 किलोमीटर और घने जंगलों और पहाड़ी रास्तों से 4 किलोमीटर दूर था।
चुनाव आयोग ने इस चुनाव के दौरान सभी मतदान केंद्रों पर स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से संबंधित सजावट की व्यवस्था की, जिससे मतदाताओं को एक स्वागतपूर्ण माहौल मिल सके। साथ ही, सभी मतदान केंद्रों पर बुनियादी सुविधाएँ जैसे कि प्राथमिक चिकित्सा, पानी, शौचालय, छायादान, रैंप, व्हीलचेयर और स्वयंसेवक उपलब्ध कराए गए।
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सुरक्षा एजेंसियों और निगरानी टीमों के समन्वित प्रयासों के कारण चुनाव के दौरान 183 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की गई है, जिसमें 145 करोड़ रुपये की मुफ्त सामान और 13 करोड़ रुपये की नशीली दवाइयाँ शामिल हैं। कठिन इलाकों में मतदान अधिकारी 225 मतदान केंद्रों पर हवाई जहाज द्वारा पहुंचे, जो घने जंगलों और लवेर उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्थित थे।
रिपोर्ट- पवन सिंह चौहान
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