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अध्ययन में हुआ खुलासा, कोविड के तनाव ने लोगों के मन में बढ़ाए आत्महत्या के विचार

लंदनः कोविड-19 महामारी ने न केवल शारीरिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है। स्वानसी विश्वविद्यालय, कार्डिफ विश्वविद्यालय और वेल्स में एनएचएस के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में जांच की है कि कौन से कोविड से संबंधित तनाव आत्मघाती विचारों और व्यवहारों को उकसाते हैं। सर्वेक्षण 12,000 से अधिक लोगों पर किया गया था, जिसमें स्वयंसेवकों से ब्रिटेन के पहले लॉकडाउन के दौरान अपने अनुभव साझा करने के लिए कहा गया था।

जर्नल आर्काइव्स ऑफ सुसाइड रिसर्च में प्रकाशित परिणाम बताते हैं कि सामाजिक अलगाव, घरेलू दुर्व्यवहार, रिश्ते की समस्याएं और वित्तीय समस्याएं जैसे कई तनाव आत्मघाती विचारों और व्यवहारों से जुड़े थे। हालांकि, इन मुद्दों को सहन करने वाले सभी लोगों ने आत्महत्या के विचार होने की सूचना नहीं दी। भविष्य के लिए आशा रखने वाले व्यक्ति इन दबावों से कम प्रभावित थे। स्वानसी विश्वविद्यालय की प्रोफेसर निकोला ग्रे ने कहा कि हम इन निष्कर्षों का उपयोग यह लक्षित करने के लिए कर सकते हैं कि लोगों को आत्महत्या के विचारों की ओर ले जाने के मामले में कौन से तनाव सबसे घातक हैं। इनमें से कुछ को लॉकडाउन समाप्त होते ही कम किया जा सकता है और हम भविष्य में अच्छी जिंदगी जी सकते हैं।

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कार्डिफ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रॉबर्ट स्नोडेन ने कहा कि इनमें से कई तनावों से बचना मुश्किल है, इसलिए हमें अपने समुदायों में भविष्य के लिए आशा जगाने की जरूरत है ताकि लोगों को इन कठिन समय से गुजरने में मदद मिल सके। साथ ही अध्ययनकर्ताओं ने यह भी कहा कि जिंदगी को लेकर आशा भरे सोच से हम इस नकारात्मक सोच से बाहर हो सकते हैं।