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मोहिनी एकादशी के दिन बन रहा विशेष संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

नई दिल्लीः भगवान विष्णु ने अलग-अलग समय पर भिन्न-भिन्न अवतार धारण का असुरों का मर्दन किया है। त्रेतायुग में भगवान राम और द्वापरयुग में भगवान कृष्ण के अवतार को सबसे अधिक पूजा जाता है, क्योंकि इसमें भगवान ने मानवरूपी लीलाएं कर सभी को जीवन जीने का एक संदेश दिया था। भगवान विष्णु के पूजन के लिए एकादशी का बड़ा महात्म्य होता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है, जिसका बहुत अधिक महत्व होता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण समस्त देवताओं को अमृत पान कराया था। ऐसा भी माना जाता है कि देवासुर संग्राम का अंत भी इसी दिन हुआ था। इस माह में मोहिनी एकादशी 12 मई को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्यो की बातों पर गौर करें तो इस बार की मोहिनी एकादशी पर विशेष संयोग पड़ रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस एकादशी के दिन चंद्रमा कन्या राशि में प्रवेश करेगा जबकि शनि कुंभ और गुरू मीन राशि में विराजमान रहेंगे। इसके अलावा दो बड़े ग्रह भी स्वराशि में रहेंगे। ग्रहों की विशेष स्थिति से राजयोग के समान योग का निर्माण हो रहा है। खास बात यह है कि इस बार मोहिनी एकादशी गुरूवार के दिन पड़ रही है, जो भगवान विष्णु का सबसे प्रिय दिन माना जाता है।

मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त की बात करें तो बुधवार 11 मई 2022 को शाम 7 बजकर 31 मिनट से यह प्रारंभ होेकर गुरूवार 12 मई 2022 को शाम 6 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। इस दौरान आप किसी भी पहर में भगवान विष्णु व उनके विभिन्न अवतारों की पूजा कर सकते हैं।

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पूजन विधि
एकादशी का दिन भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और इस दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना होती है। मोहिनी एकादशी के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करने के बाद पहले सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान राम की आराधना कर उनको पीले फूल, पंचामृत व तुलसी दल अर्पित करें। यदि आप चाहें तो फल भी अर्पित कर सकते हैं। इसके उपरांत भगवान राम का ध्यान कर उनके मंत्रों का जाप करें। व्रतधारी यदि जलीय आहार लें या फिर फलाहार ही लें, तो इसके उत्तम फल मिल सकते हैं। अगले दिन प्रातः एक बेला का भोजन या अन्न किसी निर्धन को दान करें। इस दिन मन को ईष्वर में लगाएं, क्रोध न करें और असत्य बात न बोलें।

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