Somvati Amavasya , जींद: साल की दूसरी सोमवती अमावस्या पर सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने जींद शहर के पूर्वी छोर पर स्थित पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर सरोवर में स्नान कर अपने पितरों को पिंडदान किया। ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर रविवार शाम से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। रविवार रातभर धर्मशालाओं में सत्संग व कीर्तन आदि के आयोजन चलते रहे। सोमवार को तड़के ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान कर पिंडदान करना शुरू कर दिया, जो दोपहर बाद तक जारी रहा।
श्रद्धालुओं ने पितरों का किया पिंडदान
इस अवसर पर दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर सुख-समृद्धि की कामना की। उधर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पिंडारा तीर्थ पर पुलिस बल तैनात किया गया था। सरोवर में स्नान के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए गोताखोरों व नावों की विशेष व्यवस्था की गई थी। गोहाना रोड पर दिनभर जाम की स्थिति बनी रही तथा यातायात व्यवस्था को बनाए रखने में पुलिसकर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
पांडवों ने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया था पिंडदान
बता दें कि हर अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या के दिन, देशभर से सैकड़ों श्रद्धालु कुरुक्षेत्र की इस पावन भूमि पर आते हैं। वे यहां के पवित्र तीर्थस्थलों में स्नान करके तथा ब्रह्म सरोवर में डुबकी लगाकर अपने पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। पिंडतारक तीर्थ के बारे में कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए सोमवती अमावस्या का इंतजार करते हुए यहां तपस्या की थी।
बाद में सोमवती अमावस्या आने पर युद्ध में मारे गए पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया गया था। तभी से मान्यता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, खासकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु पिंडदान करने आते हैं।