कानपुरः सावन आते ही जनपद के साथ ही आसपास के कई जिलों से गंगा किनारे बसे कानपुर में बने शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो जाती है। गंगा तट पर बसे द्वितीय काशी प्राचीन सिद्धनाथ शिव मंदिर भी उनमें से एक है। जाजमऊ स्थित प्राचीन सिद्धनाथ मंदिर में श्रावण मास पूजा अर्चना का अलौकिक फल मिलता है। खास बात यह है कि यहां सावन में विशेष पूजा से संतान प्राप्ति का फल मिलता है। जाजमऊ अंतर्गत राजा ययाति किले के पास स्थित द्वितीय काशी के रूप में सिद्धनाथ मंदिर है। वैसे तो प्रत्येक दिन यहां पर शिवभक्तों का आना जाना रहता है लेकिन सावन के पवित्र महीने में यहां जिले के अवाला आसपास के कई जगहों से भक्तगण मन्दिर आकर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। यहां भक्त बेलपत्री, दूध, दही और जल का अभिषेक कर शिवलिंग पर चढ़ाकर मनोकामनाए मांगते हैं।
सिद्धनाथ मंदिर की पौराणिक कथा
ऐसी मान्यता है कि त्रेतायुग में जाजमऊ स्थित राजा ययाति का महल था, उनके पास 1000 गाय थीं। राजा सभी गायों में से सिर्फ एक ही गाय का दूध पिया करते थे जिसके पांच थन थे। वह गाय सुबह जब चरवाहों के साथ चरने जाती थी तो वह अक्सर झाड़ियों के पास जाकर अपना दूध एक पत्थर पर गिरा देती थी। जब ये बात राजा को पता चली तब उन्होंने अपने रक्षकों से इस बारे में जानकारी करने को कहा। राजा के रक्षकों ने बताया कि गाय झाड़ियों के पास अपना दूध एक पत्थर पर गिरा देती है। उसी वक्त राजा ने फैसला किया कि वह वहां चलेंगे और उस जगह पर जाने के बाद उन्होंने उस टीले के आसपास खुदाई करवाई, जहां उन्हें खुदाई करते वक्त एक शिवलिंग दिखाई दिया। शिवलिंग निकलने पर राजा ने विधि विधान से पूजन कर उसे स्थापित कराया। कहा जाता है कि राजा को एक रात स्वप्न आया कि यहां 100 यज्ञ पूरे करो तो यह जगह काशी कहलाएगी। जिसके बाद राजा ने विधि विधान से यज्ञ प्रारंभ भी कर दिया। बताया जाता है कि राजा के 99 यज्ञ पूरे हो गए थे और 100वां यज्ञ करते समय एक कौवे ने उस हवन कुंड में हड्डी डाल दी जिसके बाद ये जगह काशी बनने से तो चूक गयी लेकिन आज भी सभी भक्त इसे द्वितीय काशी के रूप में जानते हैं। तबसे लेकर ये प्रसिद्ध मंदिर सिद्धनाथ के नाम से जाना जाने लगा।
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सिद्धनाथ मन्दिर के पुजारी मुन्नी लाल पांडेय ने बताया कि मंदिर में श्रद्धालुओं की प्रत्येक दिन भीड़ बनी रहती है। यहां देश के कोने-कोने से लोग भोलेनाथ के दर्शन के लिए यहां आते हैं और यहां सावन के चैथे सोमवार के दिन भव्य मेला का भी आयोजन होता है। भक्तों को सिद्धनाथ बाबा ने कभी निराश नहीं किया। बच्चों के मुंडन हो या किसी भी प्रकार की मनोकामना बाबा सिद्धनाथ जरूर उसे पूरा करते हैं। संतान प्राप्ति के लिए लोग पूजा अर्चना करते है उनकी मुराद पूरी जरूर होती है।
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