लखनऊः देश में वाहन कबाड़ नीति लागू हुई तो राजधानी के करीब 95 हजार निजी व कॉमर्शियल वाहन इसकी जद में आएंगे। जबकि पूरे प्रदेश की बात की जाए तो यह आंकड़ा करीब 30 लाख निजी व कॉमर्शियल वाहनों का है।
आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ आरटीओ में 25 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हैं। हालांकि कोरोना काल की वजह से लखनऊ आरटीओ में नए वाहनों के पंजीकरण की गति कुछ धीमी हुई है, बावजूद इसके राजधानी की सड़कों पर रोजाना वाहनों का दबाव बढ़ रहा है। इसके साथ ही वाहनों र्के इंधन के जरिए होने वाले प्रदूषण में भी इजाफा हो रहा है। ऐसे में वाहन कबाड़ नीति को काफी कारगर माना जा रहा है। हालांकि जानकारों का यह भी मानना है कि वाहन कबाड़ नीति की सफलता इसके नियम-कानून पर निर्भर करेगी। उल्लेखनीय है कि बीते 1 फरवरी को पेश किए गए आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए स्क्रैप पॉलिसी की घोषणा की है। इसके तहत अब 20 साल पुराने निजी वाहन और 15 साल पुराने व्यावसायिक वाहनों को सड़कों पर दौड़ने के लिए फिटनेस टेस्ट पास करना होगा। वहीं जानकारों का यह भी मानना है कि वाहन कबाड़ नीति लागू होने से ऑटोमोबाइल सेक्टर को नई ताकत मिलेगी।
सड़क से कम होगा वाहनों का बोझ
वाहन कबाड़ नीति लागू होने से सड़क पर बेतहाशा बढ़ रहे वाहनों का बोझ कुछ कम होगा। वर्ष 2021-22 में राजधानी के करीब 95 हजार निजी व व्यावसायिक वाहन इसमें शामिल हैं। ऐसे में आगामी वर्षों में हर साल एक लाख व उससे अधिक वाहन स्क्रैप पॉलिसी की जद में आएंगे। इससे हर साल सड़कों से वाहनों का दबाव कम होगा और प्रदूषण का स्तर पर भी घटेगा।
वन नेशन, वन पॉलिसी जरूरी
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के टेक्निकल कमेटी मेंबर हरजिंदर सिंह ने बताया कि वाहन के लिए वन नेशन, वन पॉलिसी बेहद जरूरी है। देश में वाहनों के स्क्रैप का काम बहुत बड़ा है, मगर इस काम में बड़ी संख्या में निजी लोगों की भागीदारी है। उनके अनुसार सरकार पॉलिसी में किस तरह के नियम-कानून शामिल करती है, यह देखना होगा।
गुजरात की तर्ज पर लागू हो थ्रीपी मॉडल
ऑटो-रिक्शा थ्री व्हीलर महासंघ के अध्यक्ष पंकज दीक्षित ने बताया कि स्क्रैप पॉलिसी के जरिए सड़कों से पुराने वाहनों को हटाया जाना सरकार का स्वागत योग्य कदम है। व्यावसायिक वाहनों में शामिल ऑटो की उम्र 15 साल होती है। उसके बाद वह चलने की स्थिति में नहीं होते। उनके अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना सरकार का मकसद है। ऐसे में सरकार को सार्वजनिक परिवहन की दिशा में बेहतर कदम उठाने चाहिए। राजधानी में सार्वजनिक परिवहन के संचालन के लिए गुजरात की तर्ज पर थ्रीपी मॉडल लागू किया जाना चाहिए। इस माॅडल के तहत रात में वाहनों को खड़ा करने के लिए बड़ी-बड़ी पार्किंग, सीएनजी पंप, मेंटीनेंस के लिए वर्कशॉप एक ही जगह पर होते हैं।
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फिटनेस के नाम पर होगी उगाही
वाहन कबाड़ नीति के तहत 20 वर्ष की आयु पूरी कर चुके निजी वाहन और 15 साल की उम्र पूरी कर चुके व्यावसायिक वाहनों को फिटनेस की प्रक्रिया से गुजरना होगा। फिटनेस सही पाए जाने पर ही यह वाहन सड़कों पर चल सकेंगे। ऐसे में जानकारों का यह भी कहना है कि इससे वाहन स्वामियों से फिटनेस के नाम पर उगाही भी बढ़ेगी। सुविधा शुल्क की आड़ में अनफिट वाहनों को भी सड़कों पर चलने के लिए फिट घोषित कर दिया जाएगा। ऐसे में न तो पुराने वाहन कम होंगे और न ही प्रदूषण में कमी आएगी। वहीं वाहनों के फिटनेस की जांच के लिए ऑटोमेटेड सेंटर बनाए जाएंगे। ऐसे में ऑटोमेटेड सेंटर सरकार की निगरानी में होंगे अथवा निजी हाथों में, इस पर भी संशय बरकरार है।