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UP: सतीश महाना बोले, सदन को सद्भावना से चलाना हम सभी की जिम्मेदारी

satish-mahana लखनऊः विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि सदन प्रत्येक सदस्य के सहयोग से चलता है, चाहे वह सत्ता पक्ष का सदस्य हो या विपक्ष का। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर सदन चलाते हैं। हम सभी यहां लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ही आये हैं। सदन की उच्च परंपराओं से ही सदन की गरिमा स्थापित होती है। विधानसभा के मानसून सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा से पहले विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने सदन चलाने के लिए कई विशिष्ट नियम या सख्त कानून नहीं बनाए, क्योंकि उन्हें एहसास था कि भारत में लोकतंत्र धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सदन को सद्भावना से चलाना हम सभी की जिम्मेदारी है ताकि लोकतंत्र प्रगति पथ पर चलता रहे। सदन चलाना अकेले स्पीकर का काम नहीं है और न ही ये संभव है। अध्यक्ष सभी के सहयोग से सदन चलाते हैं। भारत में लोकतंत्र की प्रगति संतोषजनक रही है। अभी भी काफी निखार बाकी है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम आने वाली पीढ़ी के लिए ऐसा उदाहरण प्रस्तुत कर सकें, जिससे जनता का विश्वास जनप्रतिनिधियों और विधायिका पर बना रहे। महाना ने कहा कि विधानमंडल की गरिमा को उन्नत करने के लिए अपने स्तर से आधारभूत संरचना, सौन्दर्यीकरण एवं प्रक्रियात्मक सुधार के प्रयास किये गये हैं। यह सब आप सभी के सहयोग से ही संभव हो सका है। ऐसे में मैं मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि उन्होंने विधानमंडल के उन्नयन के लिए हमेशा मार्गदर्शन किया और संसाधन उपलब्ध कराये। अध्यक्ष ने कहा कि सामाजिक संघर्षों का असर भी सदन में दिखता है। इसके चलते कई बार सदन में तनाव की स्थिति बन जाती है। यह लोकतंत्र में परिवर्तन की एक प्रक्रिया है। यह बात हम सभी को समझनी चाहिए। इसके साथ ही सदन में परिपक्वता बनाए रखने का भी प्रयास करना चाहिए। हम सभी जन प्रतिनिधि जनता के मुद्दों को यहां उठा सकते हैं। ये भी पढ़ें..AIFF लीग समिति ने I-League 2023-24 प्रारूप पर फैसला किया, 13... महाना ने कहा कि संसदीय आचरण को आदर्श माना जाता है। उच्च परंपराओं से ही सदन की गरिमा स्थापित हो सकती है। ऐसी परंपराएँ हमारे पूर्व पीठासीन अधिकारियों द्वारा भी स्थापित की गई हैं। वह सराहनीय है। हम सभी को उससे आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि अभी तक संसदीय लोकतंत्र से बेहतर कोई व्यवस्था स्थापित नहीं हुई है, जिससे लोगों का कल्याण हो सके। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र का आधार आम आदमी की आकांक्षाएं हैं। हम सभी यहां लोगों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करने और उन्हें पूरा करने के लिए एकत्र हुए हैं। हमारा प्रयास है कि हम जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर सकें। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)