नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पश्चिम बंगाल में जारी चुनाव बाद हिंसा पर चिंता जताई है और राज्य सरकार को तुरंत इस पर रोक लगाने और दोषियों को दंडित करने की मांग की है। साथ ही संघ ने समाज के अन्य वर्गों से भी अपील की है कि वे पीड़ित परिवारों के साथ खड़े होकर भाईचारे का माहौल बनाएं। साथ ही सरकार से कहा है कि वह पीड़ित परिवारों में विश्वास बहाल करे और उनका पुनर्वास करे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने वाले प्रत्याशी, समर्थक, मतदाता सभी देश के नागरिक हैं। चुनाव परिणाम के बाद विपक्षी कार्यकर्ताओं पर उन्मुक्त होकर अनियंत्रित तरीके से हुई राज्यव्यापी हिंसा पूर्व नियोजित है जिसकी कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस वीभत्स हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करता है। हमारा मानना है कि चुनाव परिणाम आने के बाद होने वाली यह हिंसा भारत की सह-अस्तित्व और सभी मतों के सम्मान की परंपरा के साथ संविधान में अंकित एक जन और लोकतंत्र की मूल भावना के विपरीत है।”
होसबाले ने कहा कि सरकार का पहला कर्तव्य सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर शांति और सुरक्षा प्रदान करना है। सरकार को अपराधी प्रवृत्ति और समाज विरोधी तत्वों को दंडित करना चाहिए। सरकार किसी एक दल के समर्थकों की नहीं होती है बल्कि उसकी जवाबदेही पूरे समाज के प्रति होती है।
संघ की ओर से हिंसा पर लगाम लगाने की मांग करते हुए सरकार्यवाह ने कहा कि राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता राज्य में चल रही हिंसा को तुरंत समाप्त कर कानून का शासन स्थापित करना होनी चाहिए। सरकार तुरंत दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे और हिंसा पीड़ित परिवारों में विश्वास व सुरक्षा की बहाली करते हुए उनका पुनर्वास कराए।
सरकार्यवाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल में समाज विरोधी ताकतों ने महिलाओं के साथ घृणास्पद बर्बर व्यवहार किया, निर्दोष लोगों की क्रूरतापूर्ण हत्याएं की, घरों को जलाया, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों-दुकानों को लूटा एवं हिंसा के फलस्वरूप अनुसूचित जाति-जनजाति समाज के बंधुओं सहित हजारों लोग अपने घरों से बेघर होकर प्राण-मान रक्षा के लिए सुरक्षित स्थानों पर शरण के लिए मजबूर हुए हैं। कूच-बिहार से लेकर सुंदरबन तक सर्वत्र जन सामान्य में भय का वातावरण बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि इस पाशविक हिंसा का सर्वाधिक दुखद पक्ष यह है कि शासन और प्रशासन की भूमिका केवल मूकदर्शक की ही दिखाई दे रही है। दंगाइयों को ना ही कोई डर दिखाई दे रहा है और ना ही शासन-प्रशासन की ओर से नियंत्रण की कोई प्रभावी पहल दिखाई दे रही है।
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आगे कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज के सभी प्रबुद्ध जनों, सामाजिक-धार्मिक-राजनीतिक नेतृत्व का भी आह्वान करता है कि इस संकट की घड़ी में वे पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हो कर विश्वास का वातावरण बनाये, हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करें एवं समाज में सद्भाव और शांति व भाईचारे का वातावरण खड़ा करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायें।