नई दिल्लीः अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) के दाम गिरने से भारत ने भी जल्दी ही पेट्रोल और डीजल की कीमत में राहत मिलने की संभावना बन गई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव पिछले 15 दिनों में 10 फ़ीसदी तक गिर चुका है। यूरोप में कोरोना की तीसरी लहर का प्रकोप बढ़ने और इसके कारण लगी बंदिशों के कारण तेल की मांग में कमी आई है। इन बंदिशों की वजह से आगे भी इस मांग में लगातार कमी दिखने का अनुमान लगाया जा रहा है।
तेल निर्यातक देशों (ओपेक कंट्रीज) और उनके सहयोगी देशों ने कोरोना काल के दौरान कच्चे तेल के उत्पादन में हो रहे नुकसान को कम करने के लिए उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया था जिसके बाद से ब्रेंट क्रूड का दाम तेजी से चढ़ा। कीमत में उत्पादन घटने के कारण क्रूड में तेजी की शुरुआत हुई। जिसके कारण कच्चे तेल का भाव 70 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया। अमेरिकी क्रूड के उत्पादन में बढ़ोतरी होने और यूरोपीय बाजार में कच्चे तेल की मांग में कमी होने के कारण पिछले 2 हफ्ते में कच्चे तेल की कीमत में 10 फ़ीसदी तक की गिरावट आ गई है। जानकारों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण यूरोप के कई देशों में लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधात्मक उपाय अपनाए जा रहे हैं जिससे कच्चे तेल की मांग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
इसके पहले फरवरी के महीने में कच्चे तेल की कीमत में आए उछाल की वजह से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत में लगातार इजाफा हुआ। कीमत में हुई बढ़ोतरी के कारण अभी देश में पेट्रोल और डीजल अपने सर्वोच्च स्तर के पास कारोबार कर रहा है। आज दिल्ली में पेट्रोल की प्रति लीटर 97.17 रुपये और डीजल 81.47 रुपये के स्तर पर बिक रहा है। पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत का ये हाल तब है जबकि घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमत में 27 फरवरी के बाद से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
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माना जा रहा है कि अगर यही हालात रहे और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल में नरमी का हाल बना रहा तो इसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई गिरावट के कारण भारतीय बाजार में भी पेट्रोल और डीजल की कीमत में गिरावट आने के आसार बन गए हैं। ऐसे में अगर पेट्रोलियम कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमत में कमी करने का निर्णय लेती है तो विधानसभा चुनाव के पहले यह फैसला सरकार को काफी राहत पहुंचाने वाला होगा।