Friday, December 27, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeफीचर्डबरकरार है डाक विभाग की प्रासंगिकता

बरकरार है डाक विभाग की प्रासंगिकता

1874 में बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की वर्षगांठ के रूप में प्रतिवर्ष 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है और इसी के साथ हर साल भारतीय डाक विभाग द्वारा ‘राष्ट्रीय डाक सप्ताह’ की शुरुआत होती है, जो 9 से 15 अक्तूबर तक मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों और व्यवसायों के रोजमर्रा के जीवन में डाक क्षेत्र की भूमिका और देशों के सामाजिक व आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

राष्ट्रीय डाक सप्ताह के अंतर्गत डाक विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जनता और मीडिया के बीच अपनी भूमिका और गतिविधियों के बारे में व्यापक जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से कार्यक्रम व गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय डाक सप्ताह समारोह के कार्यक्रमों के अंतर्गत 9, 10 तथा 12 अक्तूबर को क्रमशः विश्व डाक दिवस, बैंकिंग दिवस तथा पीएलआई दिवस मनाया गया और 13, 14 तथा 15 अक्तूबर को क्रमशः डाक टिकट संग्रह दिवस, व्यवसाय विकास दिवस तथा डाक दिवस के रूप में मनाया जाएगा। राष्ट्रीय डाक सप्ताह के अवसर पर डाक विभाग द्वारा अब डाकघरों की नई सेवाओं और नागरिक केन्द्रित सेवाओं (पीओपीएसके, आधार नामांकन और अपडेशन सुविधा, सीएससी सुविधाएं इंडिया पोस्ट पीआरएस सेंटर, गंगाजल की उपलब्धता इत्यादि) की उपलब्धता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए ऑनलाइन जागरूकता अभियान का भी आयोजन किया जाता है।

राष्ट्रीय डाक सप्ताह के दौरान विश्व डाक दिवस के अवसर पर डाकघर परिसरों में पोस्ट फोरम की बैठक का आयोजन, सॉफ्ट स्किल्स, पब्लिक इंटरैक्शन, सामान्य शिष्टाचार पर स्टाफ के लिए कार्यशालाएं इत्यादि का आयोजन होता है जबकि बैंकिंग दिवस के अवसर पर अधिक से अधिक संख्या में पीओएसबी अथवा आईपीपीबी खाते खोले जाने, आम जनता को विभाग के बचत बैंक उत्पादों तथा अन्य नई सुविधाओं के बारे में जागरूक करने के लिए बचत बैंक शिविरों या मेलों का आयोजन किया जाता है। डाक जीवन बीमा दिवस मनाने का उद्देश्य पीएलआई क्लेम सेटलमेंट को प्राथमिकता देते हुए पीएलआई दिवस तक लंबित दावों के निपटारों को न्यूनतम करना है।

डाक टिकट संग्रह दिवस के अवसर पर डाक टिकट संग्रह विभाग राष्ट्रीय डाक सप्ताह के दौरान सभी दिन राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय में कार्यक्रम आयोजित करता है। विभाग डाक टिकट संग्रह संबंधी उत्पाद (टिकट विषयों के आधार पर टाई, स्कार्फ, बैग, मग आदि) शुरू करने पर भी विचार कर रहा है। व्यवसाय विकास दिवस के अवसर पर सभी डाक सर्किल वर्तमान और संभावित व्यावसायिक ग्राहकों के साथ बातचीत करने पर जोर देते हैं। डाक दिवस के अवसर पर इस बार कोरोना की स्थिति को ध्यान में रखते हुए डाकियों की भूमिका पर प्रकाश डाला जाएगा और पीएमए का शत-प्रतिशत उपयोग करने का प्रयास किया जाएगा ताकि डाक सामग्री डिलीवरी की जानकारी उपलब्ध हो और ग्राहक को शिकायत करने का कोई अवसर न हो।

भारतीय डाक विभाग में डाकघरों को चार श्रेणियों में बांटा गया है, प्रधान डाकघर, उप-डाकघर, अतिरिक्त विभागीय उप-डाकघर तथा अतिरिक्त विभागीय शाखा डाकघर। निर्धारित जनसंख्या, दूरी एवं आय से संबंधित मानकों के अनुरूप ही किसी क्षेत्र में डाकघर खोला जाता है। भारतीय डाक विभाग द्वारा देशभर में पिन कोड नम्बर (पोस्टल इंडेक्स नम्बर) के आधार पर ही डाक वितरण का कार्य किया जाता है। पिन कोड नम्बर की व्यवस्था की शुरूआत 15 अगस्त 1972 को की गई थी, जिसके तहत विभाग द्वारा देश को नौ भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया। 1 से 8 तक की संख्या भौगोलिक क्षेत्र हैं जबकि संख्या 9 सेना डाक सेवा के लिए आवंटित की गई। छह अंकों वाले पिन कोड में पहला अंक क्षेत्र, दूसरा उपक्षेत्र, तीसरा जिले को प्रदर्शित करता है तथा आखिर के तीन अंक उस जिले के विशिष्ट डाकघर को दर्शाते हैं।

दुनिया में सर्वाधिक ऊंचाई पर बना डाकघर भारत में ही स्थित है, जो हिमाचल प्रदेश के हिक्किम में है। देश में आजादी के समय कुल 23344 डाकघर अस्तित्व में थे, जिनमें 19184 ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 4160 शहरी क्षेत्रों में थे। इनकी संख्या बढ़कर अब डेढ़ लाख से भी अधिक हो चुकी है। करीब 90 फीसदी डाकघर ग्रामीण अंचलों में कार्यरत हैं और देशभर में डाकघरों में लगभग साढ़े चार लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। इस प्रकार आजादी के बाद भारत डाक विभाग के नेटवर्क में सात गुना से भी अधिक वृद्धि के साथ यह विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क बन चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में डाकघर स्थापित करने पर सरकार द्वारा काफी सब्सिडी दी जाती है, जो पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों व रेगिस्तानी इलाकों में 85 फीसदी तक होती है जबकि सामान्य ग्रामीण इलाकों में 68 फीसदी तक होती है। देश में प्रत्येक डाकघर औसतन 21.23 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में 8086 लोगों की जनसंख्या को अपनी सेवाएं प्रदान करता है।

15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने के बाद स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार नवम्बर 1947 में एक डाक टिकट व दिसम्बर 1947 में दो डाक टिकट छापे गए, जिनमें से एक पर अशोक स्तंभ, दूसरे पर राष्ट्रीय ध्वज और तीसरे पर हवाई जहाज का चित्र छापा गया था। उसके बाद से अब तक विभिन्न अवसरों पर भारत की संस्कृति और गौरव के विभिन्न आयामों को दर्शाते सैंकड़ों डाक टिकट जारी हो चुके हैं और स्वतंत्र भारत में जारी हुए डाक टिकटों की एक गौरवशाली श्रृंखला तैयार हो चुकी है। देश में अभीतक का सबसे बड़ा डाक टिकट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर 20 अगस्त 1991 को जारी किया गया था। भारत में मनीऑर्डर प्रणाली की शुरुआत 1880 में ही हो गई थी जबकि त्वरित डाक सेवा प्रदान करने के लिए स्पीड पोस्ट की शुरूआत 1986 में की गई थी।

देश-विदेश तक सूचनाएं पहुंचाने का सर्वाधिक विश्वसनीय, सस्ता और सुगम साधन रहा भारतीय डाक विभाग पिछले कुछ वर्षों में सूचना तकनीक के नए माध्यमों के प्रसार तथा डाक वितरण क्षेत्र में निजी कम्पनियों के बढ़ते प्रभुत्व के कारण भले ही पिछड़ता नजर आया है लेकिन समय के बदलाव को भांपते हुए डाक विभाग ने मौजूदा सेवाओं में अपेक्षित सुधार करते हुए स्वयं को कुछ नई तकनीकी सेवाओं से जोड़ते हुए डाक, पार्सल, पत्रों इत्यादि को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए एक्सप्रेस सेवाएं शुरू की गयी हैं।

यह भी पढ़ेंः-मानसिक स्वास्थ्य की चुनौती

करीब तीन दशक पहले नई तकनीक आधारित सेवाओं की शुरूआत करने के बाद से इन सेवाओं का निरन्तर तकनीकी विकास किया गया। बढ़ती चुनौतियों के मद्देनजर डाकघरों को भी ग्राहकों को बैंकों जैसी बेहतर सुविधाएं देने के लिए 1 सितम्बर 2018 से ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक’ (आईपीपीबी) के रूप में स्थापित किया जा चुका है, जिसके जरिये अब बैंकों के साथ-साथ डाकघर भी लोगों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। डाकघरों में अब बुनियादी डाक सेवाओं के अलावा बैंकिंग, वित्तीय तथा बीमा सेवाएं भी ग्राहकों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि डाक व्यवस्था पर डाक विभाग का एकाधिकार भले ही खत्म हो गया है लेकिन इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है।

योगेश कुमार गोयल

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें