मुंबईः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने प्रमुख नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट (repo rate) में 0.50 फीसदी का इजाफा किया है। इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट बढ़कर 5.40 फीसदी हो गया है। वहीं रेपो रेट में की गई बढ़ोतरी से होम लोन से लेकर ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ महंगा होने वाला है और आपको ज्यादा EMI चुकानी पड़ेगी।मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट (repo rate) में इजाफे का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रियल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास अनुमान 7.2 फीसदी है।
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चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 16.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.1 फीसदी और और चौथी तिमाही में 4 फीसदी व्यापक रूप से संतुलित जोखिमों के साथ होगा। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के पहले तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके साथ ही उन्होंने वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया। हालांकि, वित्त वर्ष 2023-24 के पहले तिमाही के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 5 फीसदी रहने का अनुमान है।
दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्वाभाविक रूप से वैश्विक आर्थिक स्थिति से प्रभावित हुई है। हम उच्च महंगाई दर की समस्या से जूझ रहे हैं। हमने वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान 3 अगस्त तक 13.3 अरब अमेरिकी डॉलर के बड़े पोर्टफोलियो का प्रवाह देखा है। इससे पहले आरबीआई ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा कर 4.90 फीसदी कर दिया था। इस तरह रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में रेपो रेट में तीसरी बार इजाफा किया है। आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने से होम और कार लोन जैसे अन्य कर्ज की ईएमआई बढ़ जाएगी।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली एमपीसी समीक्षा बैठक में रेपो रेट को 4 फीसदी पर स्थिर रखा था। लेकिन, आरबीआई ने 2 से 3 मई, 2022 को एमपीसी की आपात बैठक बुलाकर रेपो रेट 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था। इसके बाद रिजर्व बैंक ने 6 से 8 जून, 2022 को एमपीसी की बैठक में रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा कर 4.90 फीसदी कर दिया। आरबीआई की रेपो रेट में आज की बढ़ोतरी के बाद यह 5.40 फीसदी हो गया है। बैंक नियामक की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक हर दो महीने में होती है।
रेपो रेट क्या होता है?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से कस्टमर को लोन देते हैं। रेपो रेट ज्यादा होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन महंगे हो जाएंगे। वहीं जिन ग्राहकों ने पहले से होम लोन ले रखा है, अगर उनकी दरें फ्लोटिंग हैं तो उन पर EMI का बोझ बढ़ेगा। अगर बैंकों ने EMI नहीं बढ़ाई तो टेन्योर बढ़ा देंगी। लेकिन किसी ग्राहक ने स्थिर दर पर होम लोन लिया है तो उसको चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्थिर पर लिया गया लोन पहले से ही महंगा होता है, जिसकी शर्तें पहले से ही तय होती हैं कि बैंकों के ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर ग्राहकों पर नहीं डाला जाएगा।
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