Sunday, October 6, 2024
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अब रिम्स में होगा दुर्लभ बीमारियों का इलाज, दो रिसर्च प्रोजेक्ट्स को मिली मंजूरी

RIMS-ranchi

रांची: रिम्स (RIMS) जेनेटिक्स एंड जीनोमिक्स विभाग फुल एक्सोम सीक्वेंसिंग करने की तैयारी कर रहा है। झारखंड में जल्द ही असाध्य और दुर्लभ बीमारियों की जांच शुरू हो जायेगी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने रिम्स के जेनेटिक्स और जीनोमिक्स विभाग के माध्यम से प्रस्तावित दो बाहरी अनुसंधान परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण को मंजूरी दे दी है। दोनों शोध सिकल सेल एनीमिया के क्षेत्र में होंगे।

रिम्स (RIMS) के पीआरओ डॉ. राजीव रंजन ने मंगलवार को कहा कि सिकल सेल एनीमिया में वासो ऑक्लूसिव क्राइसिस के लिए क्लिनिकल प्रोफाइलिंग और जेनेटिक रिस्क फैक्टर्स का अध्ययन नामक पहला प्रोजेक्ट एक बहुकेंद्रीय केस नियंत्रण अध्ययन है। दूसरे प्रोजेक्ट का शीर्षक उच्च एचबीएफ वाले सिकल सेल एनीमिया रोगियों में संभावित चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान करने के लिए एक संपूर्ण रक्त ट्रांसक्रिप्टोमिक अध्ययन है।

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उन्होंने बताया कि दोनों परियोजनाओं के मुख्य अन्वेषक डॉ. अनुपा प्रसाद और डॉ. अरुण विंसेंट किस्कू हैं। इन परियोजनाओं में डॉ. पार्थ कुमार चौधरी, डॉ. ऋषि गुरिया, डॉ. गणेश चौहान, डॉ. अमित कुमार और डॉ. सुनील शाक्य भी शामिल हैं। यह रिम्स (RIMS) और पूरे झारखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इन दोनों परियोजनाओं के साथ-साथ एमबीबीएस 2020 सत्र की छात्रा आकांक्षा सिंह के शोध प्रस्ताव को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा अल्पकालिक छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है। इस शोध प्रस्ताव की मार्गदर्शक डॉ. अनुपा प्रसाद हैं। इस प्रोजेक्ट का काम जेनेटिक्स और जीनोमिक्स विभाग में भी किया जाएगा।

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