Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में वह शुभ घड़ी नजदीक आ गई है। 4 दिन बाद यानी 22 जनवरी 2024 को देश के पीएम मोदी अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। पीएम मोदी द्वारा अभिषेक के बाद 70 एकड़ में फैला यह मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा। इसके लिए पूजा और अनुष्ठान का सिलसिला आज मंगलवार यानी 16 जनवरी से शुरू हो हो गया है, जो 22 जनवरी तक चलेगा। नदी के रास्ते कारसेवकों को पहुंचाया अयोध्या, चंदा लेकर की थी रहने-खाने की व्यवस्था
भगवा कपड़ा देखते ही गिरफ्तार कर लेती थी पुलिस
वहीं आज से करीब 33 साल पहले 1990 में विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर कारसेवा शुरू हुई थी। उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार थी। मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। अयोध्या की सभी सड़कों पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। लेकिन हर राम भक्त के दिल में राम जन्मभूमि की चिंगारी उबल रही थी। भगवा कपड़े देखते ही पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती थी। फिर भी कारसेवकों के जुनून के आगे पूरी व्यवस्था फीकी थी। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता और समाज के अन्य लोग भी कार सेवकों का समर्थन करने में लगे हुए थे।
स्वर्गीय अंबिका प्रसाद का कारसेवा में रहा बड़ा योगदान
गोंडा जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र के ग्राम खरगूपुर निवासी स्वर्गीय अंबिका प्रसाद पांडे का कारसेवा में बड़ा योगदान रहा है। उनके पोते बागेश पांडे बताते हैं कि उनके पिता विश्व हिंदू परिषद के सदस्य थे। साल 1990 में जब कार सेवा शुरू हुई। कार सेवा को रोकने के लिए मुलायम सिंह यादव की सरकार ने जगह-जगह फोर्स तैनात कर दी। विश्व हिंदू परिषद के ऐलान के बाद कारसेवक अयोध्या के लिए निकल पड़े।
उस समय सरकार ने अयोध्या जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। यहां तक कि बसें और ट्रेनें भी रोक दी गईं। इसके बावजूद राम भक्तों का उत्साह कम होने का नाम नहीं ले रहा था। हमारे बाबा कुछ रामभक्तों को नदी पार कर अयोध्या पुल तक पहुंचने का रास्ता बताने जा रहे थे। उन्होंने देखा कि पुल पर खड़े कारसेवकों पर अचानक पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। पुलिस की लाठियों से सभी कारसेवक गंभीर रूप से घायल होकर वहीं गिर पड़े।
पुलिस की लाठियों से अशोक सिंघल समेत विश्व हिंदू परिषद के कई पदाधिकारी घायल हो गये। इसके बाद कारसेवकों का गुस्सा भड़क गया। कुछ कारसेवक सुरक्षा चक्रव्यूह तोड़ कर अयोध्या में घुस गये। राम मंदिर आंदोलन में अंबिका प्रसाद पांडे की सक्रियता देखकर कुछ समुदाय के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद पुलिस ने बाबा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वे 15 दिन तक अयोध्या जेल में रहे।
चंदा इकट्ठा कर कारसेवकों को कराते थे भोजन
उस समय पैसों की बहुत कमी थी। गांव की पगडंडियों से प्रतिदिन सैकड़ों कारसेवक गुजरते थे। अम्बिका प्रसाद पाण्डे उनकी सेवा में सदैव तत्पर रहते थे। सेवा की भावना में धन की कोई समस्या न हो, इसके लिए उन्होंने धर्म रक्षा निधि बनाई। धर्म रक्षा कोष के नाम पर दान लेते थे। इस प्रकार लगभग 300 कार्यकर्ताओं का एक बड़ा समूह तैयार हो गया। इस समूह में बुजुर्गों के अलावा युवा भी थे जिन्होंने कारसेवकों को भोजन और पानी देकर टेढ़ी नदी पार कराकर अयोध्या के पुल तक पहुंचाया। उस समय हम छोटे थे। राम भक्तों तक पैकेट में खाना पहुंचाना हमारा काम था।
पुलिस से बचकर कारसेवकों को पहुंचते थे भोजन के पैकेट
विश्व हिंदू परिषद के विभाग संयोजक शारदा कांत पांडे कहते हैं कि हम छोटे थे। हमारे पूर्वज हमें कारसेवक के तौर पर काम पर लगाते थे। उस समय भगवा कपड़ा देखते ही पुलिस की गाड़ी आ जाती थी। दिन में पुलिस से बचने के लिए कारसेवकों को एक घने आम के बगीचे में रहने की व्यवस्था की गई। वहां पूड़ी-सब्जी समेत विभिन्न प्रकार का भोजन तैयार कर उन्हें पैकेट में दिया गया। अयोध्या से सटे नवाबगंज गांव में पुलिस लगातार भ्रमणशील रही।
ऐसी स्थिति में, हम खाना ले जाते समय पुलिस द्वारा पकड़े जा सकते हैं। उससे भी बचना था। भोजन कराने के लिए गांव के युवाओं की टोली थी। जब कारसेवक नवाबगंज क्षेत्र के खरगूपुर गांव से गुजरते थे तो हम उन्हें रोकते थे और भोजन, पानी और आराम की व्यवस्था करते थे। राम मंदिर आंदोलन में अनेक राम भक्तों ने बलिदान दिया। यह उनके संघर्ष का ही परिणाम है कि आज मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम भव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)